कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी के हमले का है यह तीसरा साल. पिछले दो साल में गुलाबी सुंडी ने चौपट कर दी थी कपास की फसल. पंजाब में कीटों के प्रकोप को देखते हुए बहुत से किसानों ने फसल उखाड़ दी है.
नई दिल्ली. हरियाणा और पंजाब के किसानों को एक बार फिर कपास (Cotton Crop) की फसल दगा देती हुई नजर आ रही है. पिछले दो सालों की तरह इस साल भी कुछ इलाकों में सफेद मक्खी (whitefly) और गुलाबी सुंडी (pink bollworm) का प्रकोप देखा जा रहा है. नतीजन, बहुत से किसानों ने तो अब अपनी फसल पर हल चलाना भी शुरू कर दिया है. जिनके पास पानी के ठीक-ठाक साधन हैं, वो धान की पछेती किस्मों की रोपाई कर रहे हैं. पिछले तीन महीने से हाड़-तोड़ मेहनत और खूब खर्चा लगाने के बाद यूं फसल को मिट्टी में मिलाने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है. लेकिन, उनके पास इसके सिवाय कोई और विकल्प भी नहीं है.
गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों में गुलाबी सुंडी के हमले की वजह से हरियाणा और पंजाब के कपास उत्पादक किसानों को मोटा नुकसान हुआ था. इस वजह से इस बाद किसानों ने कपास की बुआई कम ही की. जिन किसानों के पास पानी की उपलध्बता थी, उन्होंने धान (चावल) लगाने को प्राथमिकता दी. वहीं, बहुत से किसानों ने मूंग का चुना. अब कपास में फूल आते ही फिर से गुलाबी सुंडी दिखाई देने लगी है. पिछले दो वर्षों में गुलाबी सुंडी ने कपास की फसल को लगभग चौपट ही कर दिया था, इस बार भी ऐसा ही होने की आशंका से कुछ किसानों ने अपनी फसल उखाड़ दी है.
कीटों के बढते हमले ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. वे रोज फसल का निरीक्षण कर दवा छिड़क रहे हैं.
उखाड़ने के सिवाय नहीं और कोई चारा
पंजाब के फाजिल्का में कृषि विभाग ने 10 संक्रमण वाले हॉटस्पॉट की पहचान की है. हालांकि, कृषि विभाग का कहना है कि अभी सफेद मक्खी और गुलाबी सुंडी का हमला बहुत ज्यादा नहीं है, फिर भी बहुत से किसानों ने कपास पर हल चला दिया है. फाजिल्का के पट्टी सदीक गांव के गुरप्रीत सिंह और उनके पिता अजैब सिंह का कहना है कि उन्होंने कीटों के हमले को देखते हुए अपने पांच एकड़ कपास की फसल में से डेढ एकड़ को उखाड़ दिया है और चावल की 126 वैरायटी लगाने की तैयारी कर रहे हैं.
फाजिल्का के खुई खेड़ा और झुरार खेड़ा गांवों तथा बठिंडा के गियाना और तुंगवाली गांवों में किसानों द्वारा अपनी फसलों को जोतने की खबरें मिली हैं. वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 128 टीमों ने कपास क्षेत्र में 240 स्थानों का दौरा किया. कुछ स्थानों पर कीटों का हमला देखा गया, लेकिन यह अभी निर्धारित सीमा के भीतर ही है.
कृषि विभाग ने भी फसल उखाड़ने की बात मानी
पंजाब के कृषि विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ने भी यह माना है कि किसानों द्वारा फसल को वापस जोतने की खबरें आई हैं. उनका कहना है कि वे ही किसान नरमा की फसल को उखाड़ रहे हैं, जहां उनके पास बुवाई के लिए पीआर 126 किस्म की धान की पौध उपलब्ध है. साथ ही किसान बोई गई आधी कपास ही उखाड़ रहे हैं, आधी अभी भी रख रहे हैं.
नहीं सह सकते नुकसान
हरियाणा के हिसार जिले की आदमपुर तहसील के गांव खैरमपुर निवासी किसान सतपाल भादू का कहना है कि उन्होंने इस बार अपने 30 एकड़ जमीन में से केवल 10 एकड़ में ही कपास बोया. इस बार भी सफेद मक्खी का हमला ज्यादा हुआ है. अब फूलों में गुलाबी सुंडी भी दिख रही है. पिछली बार भी गुलाबी सुंडी ने सबकुछ चौपट कर दिया था. फसल इस बार भी अच्छी होगी इसकी उम्मीद उन्हें कम ही है.
फतेहाबाद तहसील के गांव खजूरी-जाटी निवासी किसान सुखबीर मांजू का कहना है कि पिछले बार उन्होंने बहुत ज्यादा कीटनाशकों का छिड़काव गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए किया. चावल के मुकाबले उन्हें कपास से बहुत कम मुनाफा हुआ. इसी को देखते हुए इस बार उन्होंने कपास कम बोया और चावल ज्यादा लगाया. अब फिर कपास पर सफेद मक्खी और गुलाबी सुंडी का हमला हो गया है. फसल कमजोर दिख रही है. क्योंकि अब चावल की पौध उपलब्ध नहीं है, इसलिए वे इसे उखाड़कर धान नहीं बो सकते. मजबूरी में उन्हें कपास को रखना होगा.
Tags: Agriculture, Haryana news, Punjab news
FIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 10:30 IST