नई दिल्ली. वह दिन दूर नहीं, जब बड़ी-बड़ी विदेशी बीमा कंपनियां आपके आगे-पीछे घूमेंगी और इंश्योरेंस कराने के लिए एक से एक बढ़िया ऑफर देंगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि वित्त मंत्रालय ने बीमा क्षेत्र को मजबूत बनाने और निवेशकों के लिए इसे आकर्षक बनाने के उद्देश्य से कुछ बड़े सुधार प्रस्तावित किए हैं. इन प्रस्तावों में एफडीआई सीमा को 100 फीसदी तक बढ़ाने की बात है, जिससे विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में अपनी पूरी हिस्सेदारी रख सकेंगी. अभी तक यह लिमिट 74 फीसदी है.
इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने यूनिफाइड लाइसेंस की सिफारिश की है, जिससे बीमा कंपनियां लाइफ, हेल्थ और जनरल बीमा सेवाएं एक साथ प्रदान कर सकेंगी. वर्तमान में, यह व्यवस्था लागू नहीं है, क्योंकि जीवन बीमा कंपनियां, स्वास्थ्य बीमा नहीं बेच सकतीं और न ही स्वास्थ्य बीमा कंपनियां जीवन बीमा बेच पाती हैं. इस मसले पर काफी समय से माथापच्ची चल रही थी और अब माना जा रहा है कि इसका रास्ता साफ हो चुका है.
विदेशी पुनर्बीमा कंपनियों के लिए राहत
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने विदेशी पुनर्बीमा (Foreign re-insurers) कंपनियों के लिए न्यूनतम नेट-ओन्ड फंड्स की सीमा 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,000 करोड़ रुपये करने का भी सुझाव दिया है. इसके साथ ही, IRDAI को ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों के लिए पूंजी की आवश्यकताओं को 50 करोड़ रुपये तक कम करने का अधिकार मिलेगा, जहां बीमा सेवाएं कम उपलब्ध हैं.
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बीमा शेयरों में उछाल
इस प्रस्ताव के बाद बीमा कंपनियों के शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली है. LIC, न्यू इंडिया एश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया जैसे प्लेयर्स ने पिछले हफ्ते में 15.5 फीसदी तक की बढ़त दर्ज की है. आज, अधिकांश जनरल बीमा कंपनियों के स्टॉक्स 0.5 फीसदी -2 फीसदी तक की बढ़त के साथ ट्रेड कर रहे हैं. हालांकि, जीवन बीमा कंपनियां जैसे HDFC लाइफ, SBI लाइफ और मैक्स फाइनेंशियल नियामकीय दबावों के कारण इस तेजी का हिस्सा नहीं बन पाई हैं.
फैसले के इंतजार में विदेशी प्लेयर
पूर्व IRDAI मैंबर निलेश साठे ने CNBC-TV18 को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस कदम से भारतीय बीमा क्षेत्र में वैश्विक कंपनियों की रुचि बढ़ेगी. बर्कशायर हाथवे (Berkshire Hathaway) और यूनाइडेट हेल्थ (UnitedHealth) जैसी कंपनियां इस फैसले का इंतजार कर रही थीं, ताकि वे भारतीय बाजार में प्रवेश कर सकें.
IRDAI के चेयरमैन, देबाशीष पांडा ने भी कहा है कि 100 फीसदी एफडीआई और यूनिफाइड लाइसेंस से विदेशी कंपनियां अपनी रणनीतियों को स्वतंत्र रूप से लागू कर सकेंगीं, और भारतीय बाजार में वैश्विक अनुभव ला सकेंगी. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि घरेलू पूंजी पर निर्भर रहने से बीमा क्षेत्र में घरेलू निवेश की कमी हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 11:42 IST