नई दिल्ली. तकनीक इतना आगे बढ़ चुकी है कि असली और नकली में अंतर करना अब मुश्किल हो गया है. यही बात डायमंड पर भी लागू होती है. बाजार में असली और लैब में बने डायमंड देखने में हूबहू एक जैसे होते हैं तो आम ग्राहक के लिए उसमें अंतर करना आसान नहीं होता. इसी मुश्किल को हल करने के लिए जल्द नया नियम लागू हो सकता है. इस नियम के बाद ग्राहक के लिए असली और लैब में बने हीरे में पहचान करना आसान हो जाएगा.
दरअसल, रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने हीरे के बारे में अमेरिका के संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) की तरफ से जारी नए दिशानिर्देशों को अपना लिया है. एफटीसी के ये दिशानिर्देश उपभोक्ताओं को हीरे खरीदते समय सही निर्णय लेने में मदद करेंगे. जाहिर है कि नया नियम लागू होने के बाद उपभोक्ताओं को असली हीरे खरीदने में आसानी होगी.
क्या होगी इसकी परिभाषा
जीजेईपीसी ने एक बयान में कहा कि एफटीसी के नए दिशानिर्देशों में ‘हीरे’ की एक स्पष्ट, मानकीकृत परिभाषा और प्रयोगशाला में विकसित हीरों के लिए अलग शब्दावली का इस्तेमाल किया गया है जो उद्योग के हितधारकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए स्पष्टता और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं. इसका मतलब है कि लैब में बने हीरों को अब अलग नाम से बेचा जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं को भ्रम नहीं होगा.
सरकार जल्द लागू कर सकती है नया नियम
परिषद ने कहा, ‘चूंकि भारत के रत्न एवं आभूषण व्यापार ने हीरे के संबंध में एफटीसी की नई परिभाषा को सर्वसम्मति से अपना लिया है, लिहाजा हम भारत सरकार और मंत्रालयों से आग्रह करते हैं कि वे भी इसे स्वीकार करें, अपनाएं और देश के मौजूदा उपभोक्ता कानूनों के अनुकूल बनाएं. इस नियम का फायदा उपभोक्ता और कारोबारी दोनों को होगा.’
बंद हो जाएगा ग्राहकों का नुकसान
जीजेईपीसी के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा कि यह पहल उपभोक्ताओं के हित में है और उन्हें गलत सूचनाओं से बचाते हुए उनके अधिकारों की रक्षा करती है. उन्होंने कहा कि परिषद के सदस्य ‘हीरे’ की नई परिभाषा के अनुपालन को सुनिश्चित करेंगे और अन्य सभी रत्न और आभूषण व्यापार निकायों और खुदरा विक्रेताओं से भी ऐसा करने का अनुरोध करेंगे. इससे उपभोक्ताओं को असली के नाम पर नकली हीरे बेचने पर रोक लगाई जा सकेगी.
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FIRST PUBLISHED : December 1, 2024, 21:13 IST