भारत के पड़ोसी देशों में रची जा रही साजिश, साइबर फ्रॉड में सामने आया चूरू से चीन का चौंकाने वाला कनेक्शन

नई दिल्ली. हाल ही में गुड़गांव पुलिस ने साइबर अपराध के जो सबूत खोजे हैं उसमें चौंकाने वाला विदेशी कनेक्शन सामने आया है. यह जामताड़ा और नूह के कुछ हिस्सों में की गई धोखाधड़ी की तुलना में यह अधिक शातिर और संगठित है, जिसे विदेश से कंट्रोल किया जा रहा है. मानेसर से जालंधर तक फैले एक निवेश धोखाधड़ी के रैकेट की खोजबीन करते हुए, पुलिस की टीम ने चूरू (राजस्थान) स्थित एक मोबाइल फोन की दुकान के मालिक को गिरफ्तार किया, जो विदेश से चीनी हैंडलर द्वारा निर्देशित भारतीयों के एक नेटवर्क का हिस्सा था. आरोपी ने कहा कि वह हैंडलर से व्यक्तिगत रूप से मिलने कोलंबो गया था.

पुलिस ने कहा कि यह मामला इस महीने की शुरुआत में एक अन्य मामले से मिलता-जुलता है, जब वडोदरा के एक व्यक्ति ने दुबई में चीनी हैंडलर को कथित तौर पर सात बैंक खातों तक पहुंच प्रदान की थी. उस मामले में भी, आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह दुबई गया था.

पड़ोसी देशों में रची जा रही साजिश
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशियों के नेतृत्व वाले गिरोह पड़ोसी देशों से संचालित होते हैं क्योंकि वहां भारतीय गिरोह के सदस्यों से मिलना आसान होता है. भारत में सक्रिय बैंक खाते उनके लिए धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए महत्वपूर्ण हैं और वे धोखाधड़ी की गई राशि को कई बैंक खातों में ट्रांसफर कर देते हैं, जिससे राशि का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. वे इस तरह से भारतीय जांच एजेंसियों की नजरों में भी आने से भी बचते हैं. हालांकि, अब तक साइबर अपराध के मामलों में भारतीय एजेंसियों द्वारा विदेश से एक भी चीनी नागरिक को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

ऐसे उजागर हुआ 28 लाख का फ्रॉड
चूरू के व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध की सूचना फरवरी में मानेसर निवासी ने पुलिस को दी थी, जिसने 28 लाख रुपये खो दिए थे. शिकायतकर्ता को शेयर बाजार में निवेश पर आकर्षक रिटर्न की पेशकश की गई थी. धोखेबाजों पर विश्वास करते हुए, उन्होंने राशि को उनके द्वारा दिए गए बैंक खातों में ट्रांसफर किया था. जब उन्होंने अपने रिटर्न को निकालने की कोशिश की, तब जालसाजों ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म तक उनकी पहुंच को रोक दिया और फिर उन्हें धोखाधड़ी का अहसास हुआ.

शिकायत के आधार पर 26 जून को पुलिस ने इस मामले से जुड़ी पहली गिरफ्तारी की. जालंधर के एक निजी कर्मचारी नीरज और उसके सहयोगियों अमीर अहमद (जालंधर) और नंद किशोर शाकिया (हनुमानगढ़, राजस्थान) को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने कहा कि नीरज मूल खाताधारक था, जिसने अहमद से बैंक खाते की जानकारी साझा की थी. यह नीरज का खाता था जिसमें पीड़ित मानेसर निवासी द्वारा पैसा ट्रांसफर किया गया था.

सामने आया चीनी हैंडलरों से कनेक्शन
नंद किशोर ने पुलिस को बताया कि वह मोबाइल दुकान के मालिक मुरजाद सिंह शेखावत (44) के संपर्क में था. गुरुवार को सोनीपत में केएमपी एक्सप्रेसवे के पास से उसे गिरफ्तार कर लिया गया. शेखावत ने पुलिस को बताया कि वह कई महीनों से चीनी संचालकों के संपर्क में था. पुलिस को शेखावत के सेलफोन में चार चीनी नागरिकों का कॉन्टैक्ट डिटेल्स भी मिला है. वह व्हाट्सएप पर एक नेपाली नागरिक के माध्यम से उनके संपर्क में आया था और वह टेलीग्राम के माध्यम से उनसे संपर्क करता था.

बयान के अनुसार, शेखावत मई 2024 में कोलंबो गया और जुलाई तक चार चीनी लोगों के साथ एक घर में रहा. वहां, उसे भारत में ऐसे सहयोगी खोजने के लिए कहा गया जो उसे बैंक खाते खोलने में मदद कर सकें. एसीपी ने कहा, “शेखावत ने संचालकों को चार चालू खाते उपलब्ध कराए. उसने धोखाधड़ी की गई राशि का 1.5% भी कमीशन के रूप में प्राप्त किया जो उसके द्वारा दिए गए बैंक खातों में जाता है.” पुलिस ने शेखावत से एक पासपोर्ट, तीन मोबाइल फोन और नेपाल और श्रीलंका के सिम कार्ड जब्त किए हैं. वह तीन दिन की पुलिस रिमांड पर है. इस मामले से पहले, गुड़गांव पुलिस ने 6 अगस्त को वडोदरा के 33 वर्षीय तारिफ हुसैन मलिक को दुबई में चीनी जालसाजों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. नवंबर 2023 में एक निवेश धोखाधड़ी में 10 लाख रुपये के नुकसान की शिकायत दर्ज होने के बाद मामले की जांच शुरू हुई थी.

Tags: Business news, Cyber Crime, Cyber Fraud

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