यरलुंग त्संगपो नदी पर ‘सुपर डैम’ बना रहा है चीन. यरलुंग त्संगपो का भारत में कहते हैं ब्रह्मपुत्र दी. अरूणाचल में इसे सियांग के नाम से पुकारा जाता है.
नई दिल्ली. हमारा पड़ोसी चीन अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की सीमा से लगे तिब्बत (Tibet Region) में यरलुंग त्संगपो नदी पर ‘सुपर डैम’ बना रहा है. इस डैम का भारत का नकारात्मक असर पड़ सकता है. इससे यरलुंग त्संगपो नदी, जिसे अरूणाचल प्रदेश में सियांग और ब्रह्मपुत्र नदी कहा जाता है, में पानी का प्रवाह तो कम हो सकता है. यही नहीं कभी भी चीन तिब्बत में बने बांध के गेट खोलकर भारत में बाढ़ ला सकता है. इस खतरे से निपटने के लिए भारत सरकार ने सियांग नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की योजना बनाई है. इस बांध के बन जाने से तीन फायदे होंगे. इससे सालभर पानी आपूर्ति होगी, 10-12 गीगावॉट पनबिजली का उत्पादन होगा और अरूणाचल प्रदेश और असम में बाढ़ का खतरा कम होगा.
चीन यरलुंग त्संगपो (Yarlung Tsangpo) नदी पर सुपर डैम बनाने जा रहा है, वो मेडोग बॉर्डर पर है. यह जगह अरुणाचल के बिल्कुल करीब है. जहां से ये नदी भारत में प्रवेश करती है. भारत की चिंता यह है कि इस डैम के बनने से चीन, ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra river) के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है. यरलुंग त्संगपो यानी ब्रह्मपुत्र दी, तिब्बत से होकर अरुणाचल प्रदेश और फिर असम में प्रवेश करती है.
डीपीआर बना रही है एनएचपीसी
सियांग नदी पर बांध बनाने के लिए केंद्र सरकार पनबिजली की प्रमुख कंपनी एनएचपीसी को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और परियोजना व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफपीआर) विकसित करने की जिम्मेदारी दी है. भारत की योजना सियांग बांध को भारत का सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना बनाने की है. इस परियोजना की लागत 1 लाख करोड़ रुपये होगी. ऊर्जा मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय अरुणाचल प्रदेश सरकार के साथ मिलकर इस परियोजना को सिरे चढ़ाने में लगे हुए हैं.
स्थानीय लोग कर रहे हैं विरोध
सियांग नदी पर बांध बनाने का विरोध स्थानीय लोग कर रहे हैं. स्थानीय लोगों को नौकरियों और कृषि योग्य भूमि विशेष तौर पर चावल की खेती कम होने की आशंका सता रही है और उन्हें विस्थापित होने का डर भी स्तर रहा है. केंद्र सरकार ने लोगों को जागरूक करने और अरूणाचल सरकार के सहयोग से इस परियोजना को सिरे चढ़ाने की योजना बनाई है.
2021 से चीन है सक्रिय
चीन ने 2021 में यारलुंग त्संगपो में 60 गीगावॉट की मोटोंग जल परियोजना स्टेशन को मंजूरी दी. एनएचपीसी और राज्य सरकार के शुरुआती अध्ययन के मुताबिक चीन की इस परियोजना के कारण भारत में जल का प्रवाह 80 फीसदी तक घट सकता है. यही नहीं इसे चीन ‘पानी बम’ की तरह इस्तेमाल कर सकता है और इस बांध से पानी छोड़कर भारतीय क्षेत्र में बाढ़ ला सकता है.
चीन में बांधों से जल छोड़ने के कारण बीते समय में कम से कम तीन बार सियांग नदी में बाढ़ आ चुकी है. एनएचपीसी का अनुमान है कि चीन की परियोजना 40 अरब घन मीटर पानी का प्रवाह बदल सकती है. चीन के सुपर डैम से पासीघाट में जल प्रवाह करीब 60 फीसदी और पांडु (गुवाहाटी) में करीब 25 फीसदी कम हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 15:29 IST