ब्रिटेन में भारतीय कंपनियों का राज! धड़ाधड़ खरीद रहीं हिस्‍सेदारी

हाइलाइट्स

टाटा ने साल 2000 में ब्रिटिश कंपनियों को खरीदने की शुरुआत की थी. इसके बाद महिंद्रा ने भी ब्रिटेन की एक दोपहिया कंपनी में हिस्‍सेदारी खरीदी. दोपहिया कंपनी टीवीएस ने भी ब्रिटेन की कंपनी के साथ बड़ी डील की है.

नई दिल्‍ली. एक समय था जब ब्रिटेन की ईस्‍ट इंडिया कंपनी भारत पर राज करती थी. समय चक्र अब दूसरी ओर घूम गया है और भारतीय कंपनियों ने ब्रिटेन की कई दिग्‍गज कंपनियों में बड़ी हिस्‍सेदारी खरीदनी शुरू कर दी है. वैसे तो साल 2000 में टाटा ने इसकी शुरुआत कर दी थी, लेकिन इसके बाद से एक के बाद कई भारतीय कंपनियों ने ब्रिटेन की कंपनियों में हिस्‍सेदारी खरीदी. 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस से ठीक पहले एक और भारतीय कंपनी बड़ी डील की है.

दरअसल, भारती इंटरप्राइजेज ने ब्रिटेन की बीटी (BT) कंपनी में 24.5 फीसदी हिस्‍सेदारी खरीदने का ऐलान किया है. इसके लिए दोनों कंपनियों के बीच 4 अरब डॉलर (करीब 33 हजार करोड़ रुपये) की डील हुई है. यह ब्रिटेन की सबसे बड़ी ब्रॉडबैंड और मोबाइल कंपनी है. इसके साथ ही भारती इंटरप्राइजेज भी टाटा, महिंद्रा, वेल्‍सपन और टीवीएस जैसी कंपनियों की फेहरिस्‍त में शामिल हो गई, जिसने ब्रिटेन की बड़ी कंपनियों में हिस्‍सेदारी खरीदी है. भारत में फिलहाल 635 ब्रिटिश कंपनियां अपना कारोबार करती हैं. इसमें यूनिलिवर, कैडबरी, जेसीबी, बार्कलेस जैसे नाम शामिल हैं.

ये भी पढ़ें – FirstCry और Unicommerce आईपीओ की धमाकेदार लिस्टिंग, पहले ही दिन गर्म कर दी जेब, शेयरों ने ऐसा रिटर्न दिया

टाटा ने की खरीदने की शुरुआत
रतन टाटा अगुवाई में टाटा टी ने फरवरी, 2000 में ब्रिटेन की मशहूर चाय कंपनी टेटले (Tetley) को खरीद लिया. उस समय यह डील 27 करोड़ यूरो (करीब 2,479 करोड़ रुपये) में हुई थी. मजे की बात यह है कि तब टाटा टी ब्रिटिश कंपनी टेटले से छोटी हुआ करती थी. भारतयी कॉरपोरेट के इतिहास में इस डील ने कामयाबी की एक नई इबारत लिखी.

फिर तो चल पड़ा सिलसिला
टाटा की शुरुआत के बाद भारतीय कंपनियों को एक नया विजन मिल गया. साल 2006 में वेल्‍सपन इंडिया लिमिटेड (Welspun India Ltd) ने बीके गोयनका की अगुवाई में ब्रिटिश कंपनी सीएचटी होल्डिंग लिमिटेड (CHT Holdings Ltd) में 85 फीसदी हिस्‍सेदारी खरीद ली. यह कंपनी ब्रिटेन की लीडिंग टैरी टॉवल ब्रांड थी और तब इसे 132 करोड़ में खरीदा गया था. इस डील से वेल्‍सपन के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय बाजारों के रास्‍ते खुल गए.

टाटा ने फिर किया खेला
अगले साल यानी अप्रैल, 2007 में टाटा ने एक बार फिर ब्रिटिश कंपनी में बड़ी हिस्‍सेदारी खरीदी. ब्रिटिश-डच स्‍टील मेटकर कोरस ग्रुप पीएलसी को तब टाटा स्‍टील ने 12 अरब डॉलर (करीब 98 हजार करोड़ रुपये) में खरीदा. टाटा ने यह डील ब्राजील की कंपनी को बिडिंग में हराकर खरीदी थी. उस समय यह ब्रिटेन की सबसे बड़ी स्‍टील कंपनी थी और इस डील के जरिये टाटा विदेशी बाजार में कदम रख दिया.

टाटा ने लगाया जगुआर पर दांव
सालभर के अंदर टाटा ने एक और बड़ा दांव खेल दिया. उसने जून, 2008 में ब्रिटिश कार मेकर जगुआर लैंड रोवर को फोर्ड मोटर कंपनी से खरीद लिया. यह सौदा 3.2 अरब डॉलर (करीब 20 हजार करोड़ रुपये) में पूरा हुआ. पूरी डील को टाटा ने कैश में खत्‍म की और वाहन सेक्‍टर में दमदार वापसी की.

महिंद्रा ने कर दी एंट्री
अक्‍टूबर 2016 में एक और भारतीय कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने ब्रिटेन की टू-व्‍हीलर निर्माता कंपनी बीएसए को 28 करोड़ रुपये में खरीद लिया. उस समय बीएसए के प्रोडक्‍ट ब्रिटेन, जापान, मलेशिया, कनाडा, अमेरिका, मैक्सिको और सिंगापुर खूब पसंद किए जाते थे. महिंद्रा ने इस डील के जरिये अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में दमदार एंट्री की.

टीवीएस ने भी दिखाया दम
ब्रिटिश कंपनियों को खरीदने की रेस में एक और भारतीय कंपनी कूद पड़ी. अप्रैल, 2020 में चेन्‍नई की टीवीएस मोटर्स कंपनी ने ब्रिटेन की जानी-मानी मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी नॉर्टन मोटरसाइकिल को खरीद लिया. 1.6 करोड़ यूरो (करीब 160 करोड़ रुपये) की यह डील पूरी तरह कैश में हुई थी.

Tags: British News, Business news, Tata Motors, Tata steel

Source link