RBI गवर्नर को खाए जा रही बस एक चिंता! बोले-इसे इग्‍नोर नहीं कर सकते

हाइलाइट्स

आरबीआई गवर्नर ने महंगाई को सबसे बड़ी चिंता बताया. कहा, खाद्य महंगाई को इसमें से हटा दिया जाना चाहिए. एनएसओ महंगाई के फॉर्मूले को बदल सकता है.

नई दिल्‍ली. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि कुछ भी हो जाए वे मौद्रिक नीति तय करते समय महंगाई को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. उन्होंने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद कहा कि कुल उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में खाद्य महंगाई का भारांक 2011-12 में 46 प्रतिशत किया गया था और इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) इसका विश्लेषण कर रहा है.

रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरें यानी रेपो रेट तय करते समय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है. दास ने कहा, ‘रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) उच्च खाद्य मुद्रास्फीति को थोड़ा ऊपर-नीचे जाने पर नजरअंदाज कर सकती है लेकिन लगातार ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के मौजूदा माहौल में एमपीसी ऐसा करने का जोखिम नहीं उठा सकती है.’

ये भी पढ़ें – बेचनी है प्रॉपर्टी तो खुलवा लीजिए ये वाला अकाउंट, ब्‍याज मिलेगा और टैक्‍स भी बचेगा, 100 में 99 लोगों को नहीं पता

बोले-हमें सतर्क रहना होगा
उन्होंने कहा कि एमपीसी को लगातार अधिक खाद्य मुद्रास्फीति से होने वाले व्यापक प्रभावों या दूसरे दौर के प्रभावों को रोकने और अब तक किए गए लाभ को बनाए रखने के लिए सतर्क रहना होगा. मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने खाद्य मुद्रास्फीति को दर निर्धारण की प्रक्रिया से बाहर रखने की वकालत करते हुए कहा था कि मौद्रिक नीति का खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ता है, जो आपूर्ति पक्ष के दबावों से तय होती हैं.

बदल सकता है महंगाई का फॉर्मूला
दास ने अपने लिखित बयान में कही गई बातों पर विस्तार से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह जरूर कहा कि एनएसओ सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर सीपीआई में खाद्य का भार बदल सकता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सीपीआई समूह वर्ष 2011-12 के आंकड़ों पर आधारित है और कोविड महामारी के कारण इसकी समीक्षा नहीं की जा सकी.

जल्‍द नीचे आएगी महंगाई दर
दास ने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति के लिए आपूर्ति पक्ष की प्रतिक्रिया पर सरकार के साथ नियमित संपर्क में है और बाढ़ एवं भारी बारिश पर भी चर्चा करता है. केरल के एक जिले और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश से कीमतों पर कुछ असर पड़ेगा, लेकिन कुल मिलाकर मानसून लंबी अवधि के औसत से सात प्रतिशत अधिक है जिसका खाद्य मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और महंगाई नीचे आएगी.

Tags: Business news, RBI Governor, Rbi policy

Source link