RBI MPC Meeting : क्‍या आम आदमी और सरकार की बात सुनेगा आरबीआई

हाइलाइट्स

भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है.विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें कुछ राहत फरवरी 2025 में ही मिल सकती है.दिसंबर 2024 की बैठक में एमपीसी के ब्‍याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने की उम्‍मीद है.

नई दिल्‍ली. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4-6 दिसंबर, 2024 को होने वाली है. इस बैठक पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. दूसरी तिमाही (Q2) में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर उम्मीद से कम 5.4% रहने, आम लोगों के साथ ही वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के आरबीआई से ब्‍याज दरों में कटौती करने की अपील करने के बाद यह एमपीसी की पहली बैठक है. लेकिन, आरबीआई ब्‍याज दरों पर अपना रुख नरम करेगा और लोगों को राहत देगा, इसकी उम्‍मीद अभी भी कम ही है.

शुक्रवार को नरम मौद्रिक नीति की उम्मीद में बॉन्ड यील्ड में गिरावट दर्ज की गई. सरकार की ओर से भी ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ता जा रहा है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सुझाव दिया कि खाद्य पदार्थों की कीमतों को नीतिगत निर्णय से अलग रखा जाना चाहिए, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निवेश और विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की वकालत की है.

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ब्‍याज दरों में कटौती की उम्‍मीद नहीं
रिजर्व बैंक ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें कुछ राहत फरवरी 2025 में ही मिल सकती है. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि वैश्विक माहौल में अनिश्चितता और महंगाई पर संभावित प्रभाव को देखते हुए रेपो दर में कोई बदलाव आगामी एमपीसी बैठक में तो नहीं होगा.

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि अक्टूबर 2024 में उपभोक्ता कीमतों पर आधारित महंगाई छह प्रतिशत को पार कर गई है. ऐसे में उम्मीद है कि दिसंबर 2024 की बैठक में एमपीसी यथास्थिति बनाए रखेगी. मुद्रास्फीति की उच्च दर को देखते हुए फरवरी से पहले दरों में कटौती की उम्मीद नहीं की जा सकती. विशेषज्ञों का मानना है कि मौद्रिक नीति सीधे तौर पर टमाटर, प्याज या आलू जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित नहीं कर सकती. लेकिन यह मांग घटाकर समग्र कीमतों को कम कर सकती है, जिससे मुद्रास्फीति में कमी आ सकती है.

महंगाई रोकना आरबीआई की प्राथमिकता
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, बार्कलेज की अर्थशास्त्री श्रेया सोधानी के अनुसार, कमजोर आर्थिक विकास के बावजूद, आरबीआई इस सप्ताह ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. उन्होंने कहा, “मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता दी जा रही है. हालांकि, अगर तीसरी तिमाही में GDP और कमजोर होती है, तो MPC नीतिगत दरों में कटौती पर विचार कर सकती है, लेकिन इसका निर्णय विकास और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा.”

अक्टूबर में हुई MPC बैठक में तीन नए बाहरी सदस्यों में से केवल नगेन्द्र कुमार ने तत्काल 25 आधार अंकों की कटौती का सुझाव दिया था. अगस्त में, निवर्तमान सदस्य जयंथ वर्मा और अशिमा गोयल ने भी ब्याज दरों में कटौती का समर्थन किया था. वर्मा ने कहा था कि दरों में यथास्थिति बनाए रखना भारत की विकास संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है.

Tags: Interest Rates, Rbi policy, Reserve bank of india

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