टाटा संस ने नियुक्ति को लेकर एक अहम बदलाव किया है. निश्चित अवधि की नियुक्तियों का सिस्टम खत्म हो गया है. बोर्ड सदस्य तब तक रिटायर नहीं होंगे जब तक वे इस्तीफा नहीं देते.
मुंबई. रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट ने नियुक्ति को लेकर एक अहम बदलाव किया है. लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी, स्थायी सदस्य बन गए हैं, जिससे निश्चित अवधि की नियुक्तियों का सिस्टम खत्म हो गया है. रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला गुरुवार को हुई दोनों ट्रस्टों की बोर्ड बैठक में लिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम के बाद, बोर्ड के सदस्य तब तक रिटायर नहीं होंगे जब तक वे इस्तीफा देने का फैसला नहीं कर लेते और नए सदस्यों की नियुक्ति ट्रस्ट के सभी सदस्यों की सहमति के बाद ही की जाएगी.
बिजनेस डेली के अनुसार, दोनों ट्रस्टों के पास सामूहिक रूप से टाटा संस के आधे से ज्यादा शेयर हैं, जो 165 अरब डॉलर की होल्डिंग कंपनी है. इसमें टाटा ग्रुप की कई नामी-गिरामी कंपनी के शेयर शामिल हैं. टाटा ट्रस्ट, ग्रुप की सभी परोपकारी गतिविधियों का प्रबंधन करती है.
दोनों ट्रस्ट के पास टाटा संस के कितने शेयर
रिपोर्ट के मुताबिक, सर रतन टाटा ट्रस्ट के पास टाटा संस के 27.98 फीसदी शेयर हैं, जबकि सर दोराबजी टाटा के पास होल्डिंग फर्म के 23.56 फीसदी शेयर हैं. 11 अक्टूबर को नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का प्रमुख नियुक्त करने के बाद ट्रस्ट द्वारा आयोजित यह दूसरी बोर्ड बैठक थी. हालांकि, मनीकंट्रोल स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट की पुष्टि नहीं कर सका. नोएल टाटा की नियुक्ति, कॉर्पोरेट आइकन रतन टाटा के निधन के बाद की गई थी. रिश्ते में नोएल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई हैं.
टाटा ग्रुप की पैरेंट कंपनी, टाटा संस, होटल, ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और एयरलाइंस समेत विभिन्न सेक्टर्स में 30 फर्मों की देखरेख करती है. पिछले कुछ वर्षों में जगुआर लैंड रोवर और टेटली टी जैसे ब्रांड्स के अधिग्रहण के साथ टाटा संस एक ग्लोबल बिजनेस ग्रुप बन गया है. यह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, ताज होटल्स और एयर इंडिया का मालिक है और भारत में स्टारबक्स SBUX.O और एयरबस बिजनेस पार्टनर है.
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FIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 10:33 IST