गांव में रहकर महीनेभर में महिला ने कमाए ₹82000, सरकारी स्कीम से हुई मालामाल

नई दिल्ली. बाराबंकी के रामनगर विकास खंड के दूरदराज गांव सिलौटा में राजश्री शुक्ला ने ग्रामीण जीवन को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एक ‘बिजली सखी’ के रूप में, राजश्री अपने समुदाय को घर-घर जाकर बिजली बिल जमा करने की सेवा प्रदान करती हैं. यह भूमिका न केवल गांव वालों को लंबी कतारों से राहत देती है, बल्कि समय पर बिल संग्रहण सुनिश्चित करती है. इसके साथ ही राजश्री हर महीने कमीशन के रूप में 50,000 रुपये से अधिक कमाती हैं. इससे वह अपने परिवार का समर्थन कर रही हैं.

राजश्री स्वयं सहायता समूह (SHG) की सदस्य हैं, जो उत्तर प्रदेश सरकार की एक नई पहल के तहत काम कर रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई इस पहल में, ‘बिजली सखी’ की भूमिका को ‘बैंकिंग सखी’ के सफल मॉडल पर आधारित किया गया है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है.

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राजश्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “2020 में हमने राधा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बिजली बिल कलेक्ट करना शुरू किया, जो बैंक से SRLM (स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन) योजनाओं के तहत 30,000 रुपये की सहायता प्राप्त करने के बाद हुआ. हमने लोगों को हमारे सेवाओं और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता शिविर आयोजित किए. इस काम ने मुझे मेरे समुदाय का सम्मान दिलाया और अब कई महिलाएं मेरे पास अपने बिल की मदद के लिए आती हैं. इस प्रयास ने मेरे परिवार की वित्तीय स्थिति में सुधार किया है. जुलाई 2024 में, मैंने 81,900 रुपये की कमीशन कमाई और राज्य के शीर्ष दस प्रदर्शनकर्ताओं में शामिल हो गई.”

मिशन निदेशक दीप रंजन ने शनिवार को कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार की यह अभिनव पहल महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में शामिल कर मीटर रीडिंग और बिजली बिल संग्रहण में शामिल करने के लिए परिवर्तक सिद्ध हुई है. इन ‘बिजली सखियों’ ने अब तक 1,120 करोड़ रुपये के बिजली बिलों की वसूली की है और 14.6 करोड़ रुपये की कमीशन कमाई है.”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत स्वयं सहायता समूहों को सभी जिलों में नागरिकों से उनके निवास पर बिल संग्रहण की अनुमति दी गई. मिशन निदेशक दीप रंजन ने आगे बताया, “अब तक 30,000 से अधिक बिजली सखियों का चयन किया गया है, जिनमें से 10,500 से अधिक सक्रिय रूप से राज्य भर में काम कर रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में, ‘बिजली सखियों’ को 2,000 रुपये तक के बिलों पर 20 रुपये की कमीशन मिलती है और 2,000 रुपये से अधिक के बिलों पर 1% कमीशन मिलता है. शहरी क्षेत्रों में, उन्हें 3,000 रुपये तक के बिलों पर 12 रुपये की कमीशन और 3,000 रुपये से अधिक के बिलों पर 0.4% कमीशन मिलता है। इस पहल ने न केवल महिलाओं को सशक्त किया है, बल्कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण समुदायों में सकारात्मक बदलाव भी लाया है.”

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