नई दिल्ली. पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता आने का एक सबसे बड़ा प्रभाव जो दिखा है वह है डीजल-पेट्रोल वाहनों से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर स्विच करना. इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे महत्वपूर्ण और संभवत: सबसे महंगा पार्ट है उनकी बैटरी. इसे लीथियम आयन बैटरी कहा जाता है. यह बैटरी लीथियम, कोबाल्ट व अन्य कुछ धातुओं को मिलाकर बनाई जाती है. यह बैटरी केवल गाड़ियों में ही नहीं बल्कि इन्वर्टर से लेकर इलेक्ट्रिक टॉय्ज तक लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक आइटम में यूज होती है.
इसकी बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए 2019 में आईआईटी के एक पूर्व छात्र विशाल गुप्ता ने मैक्सवोल्ट एनर्जी की नींव रखी. न्यूज18 ने उनके साथ एक्सक्ल्यूसिव बातचीत की और जानने कि कोशिश की कि उन्होंने इतने प्रतिस्पर्धा वाले क्षेत्र में क्यों कदम रखा और वे क्या कुछ अलग कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- 1 साल में 4 गुना कर दिया पैसा, 55 रुपये के शेयर में अब भी दिख रहा दम, ब्रोकरेज ने दिया नया टारगेट
मैक्सवोल्ट की स्थापना क्यों?
विशाल गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने कुछ समय के लिए एक सोलर एनर्जी के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी में नौकरी की थी. वहां उन्हें सप्लाई और सर्विस में कई कमियां दिखाई दीं. उन्हें लगा कि वह इस क्षेत्र में खुद से अधिक बेहतर सेवाएं दे सकते हैं. इसी विचार के साथ 2019 में मैक्सवोल्ट अस्तित्व में आई. इस कंपनी की शुरुआत उन्होंने अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ मिलकर की.
कैसे हुई शुरुआत
कंपनी अब तक एंजेल निवेशकों से करीब 12.5 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटा चुकी है. हालांकि, विशाल गुप्ता बताते हैं कि मैक्सवोल्ट की शुरुआत के लिए उन्होंने व उनके सह-संस्थापकों ने अपने पास से 1.5 करोड़ रुपये इन्वेस्ट किये थे. गुप्ता कहते हैं कि उन्हें इस बात का भरोसा था कि ये कंपनी डूबेगी नहीं.
क्या कर रहे हैं अलग
मैक्सवोल्ट फिलहाल बिजनेस-टू-बिजनेस सेल मॉडल पर काम कर रही है. यह आम लोगों तक डायरेक्ट अपनी बैटरी नहीं पहुंचाती है. इसके डीलर्स हैं जो दूसरे बिजनेस तक मैक्सवोल्ट की बैटरी पहुंचाती है. विशाल गुप्ता दावा करते हैं कि उन्होंने सर्विस में लगने वाले टाइम को काफी कम कर दिया है. उनका कहना है कि अगर ग्राहक किसी और बैटरी कंपनी को सर्विस के लिए कॉल करता है तो वो शिकायत सीधे कंपनी के पास नहीं जाती. उस बीच में कई बिचौलिये आते हैं. वहीं, मैक्सवोल्ट की बैटरी में अगर कोई समस्या है तो उसे डीलर्स के स्तर पर ही सुलझा दिया जाता है. गुप्ता कहते हैं कि अगर वहां भी कोई सॉल्यूशन नहीं मिला तो शिकायत सीधे कंपनी के पास आती है और फिर मैक्सवोल्ट की टीम परिस्थिति के अनुसार, उस समस्या का समाधान कर देती है. इस बीच में कोई और स्तर नहीं होते.
बढ़ रहा है रेवेन्यू और कंपनी
विशाल गुप्ता ने बताया है कि कंपनी की शुरुआत से ही उनका रेवेन्यू हर साल बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 24 में उनका रेवेन्यू 100 फीसदी सीएजीआर के साथ 48.60 करोड़ रुपये पहुंच गया. कंपनी अब धीरे-धीरे अपने वेयरहाउस बढ़ाने पर काम कर रही है. विशाल गुप्ता ने बताया है कि कंपनी अब अलग-अलग तरह की बैटरीज में अपना पोर्टफोलियो बढ़ाएगी.
Tags: Business news, Indian startups
FIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 18:49 IST