बांग्लादेश को ताजा विवाद से करीब 1 लाख करोड़ का नुकसान हुआ. बांग्लादेश ने महामारी के बाद 7.2 फीसदी की विकास दर हासिल की. भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबार करीब 14 अरब डॉलर का है.
नई दिल्ली. साल 2024 की शुरुआत में जब शेख हसीना ने चौथी बार बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद को संभाला तो न सिर्फ भारत की उम्मीदें बढ़ीं, बल्कि बांग्लादेश के लोगों को भी लगा कि अब उनका देश विकसित न सही विकासशील देश की सूची में तो शामिल हो ही जाएगा. इसके लिए बाकायदा 2026 का लक्ष्य भी रखा गया. इधर, भारत ने भी 2027 तक खुद को 5 ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा तो पड़ोसी देश की उम्मीदें हमसे और भी बढ़ गईं. इन उम्मीदों को पंख तब लगे जब जून में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी तीसरी बार भारत की बागडोर संभाल ली. सबकुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था कि तभी बांग्लादेश एक गलती कर बैठा, उसके बाद सारा माजरा और मंजर ही पलट गया.
आज यानी सोमवार को बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने न सिर्फ अपने पद से इस्तीफा दे दिया, बल्कि उन्हें अपना देश भी छोड़ना पड़ा. आरक्षण के मुद्दे पर उबल पड़े बांग्लादेश में खूनी दंगे हुए जिसमें कई नौजवानों को जान भी गंवानी पड़ी. वैसे तो यह मुद्दा बांग्लादेश का आंतरिक मामला है, लेकिन उसकी ज्यादातर इकनॉमी दूसरे देशों पर निर्भर करती है. लिहाजा इन दंगों का असर सीधे तौर पर उसकी अर्थव्यवस्था पर दिख रहा है. एक गलती बांग्लादेश पर कितनी भारी पड़ी, इसकी पड़ताल हम कुछ आंकड़ों के आधार पर करते हैं.
मजबूत हो गई थी इकनॉमी
बांग्लादेश को हुए नुकसान की बानगी पेश करने से पहले हम उसकी मजबूती के बारे में बताते हैं. बांग्लादेश साल 1975 में बना और तब इस देश में गरीबी की दर 83 फीसदी से भी ज्यादा थी, जो 2020 तक गिरकर 20.5 फीसदी पहुंच चुकी थी. देश की प्रति व्यक्ति आय भी 1,827 डॉलर रही जबकि अर्थव्यवस्था का जोखिम भी गिरकर 32 से नीचे आ गया. कुल मिलाकर यह देश यूनाइटेड नेशन के सभी मानकों को पूरा करते हुए साल 2026 तक विकासशील देशों की सूची में शामिल होने की कगार पर पहुंच गया था. बांग्लादेश की इकनॉमी ने महामारी के बाद 7.2 फीसदी की विकास दर हासिल कर ली थी, जो काफी मजबूत है.
बढ़ रहा था विदेशी निवेश
यह बात तो आपको पता ही है कि बांग्लादेश ज्यादातर विदेशी इकनॉमी पर निर्भर है और यहां विदेशी निवेश भी खूब बढ़ा. ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों ने इस देश को अच्छी रेटिंग दी जिसकी वजह से निवेशकों का भरोसा बढ़ा और यूरोप सहित कई देशों की मल्टीनेशनल कंपनियों ने यहां अपनी मैन्यूफैक्चरिंग लगाई. हाल में बांग्लोदश की इकनॉमी 455 अरब डॉलर के आंकड़े को भी पार कर चुकी है. बांग्लादेश से अमेरिका को 5 अरब डॉलर तो यूरोप को 12.5 अरब डॉलर के कपड़े का निर्यात हर साल होता है.
अब क्या होगा नुकसान
बांग्लादेश में करीब 2 सप्ताह से चल रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. फिलहाल सेना ने देश को अपने कब्जे में ले लिया और 3 दिन का बंद घोषित कर दिया. इससे आयात-निर्यात पूरी तरह ठप हो गया है और सभी पोर्ट बंद कर दिए गए हैं. माल ढुलाई और ट्रांसपोर्ट सेवा भी ठप हो गई है, जो आने वाले 3 दिनों में देश के नुकसान को दो से तीन गुना तक बढ़ा सकता है.
निवेशकों पर होगा असर
देश में विदेशी निवेशकों ने काफी पैसा लगाया है और इस विरोध व बंद की वजह से उन्हें बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. जाहिर है कि इसका असर विदेशी निवेशकों की मंशा पर भी होगा और सेना के कब्जे में होने की वजह से देश की पॉलिसी एक बार फिर अनिश्चितता के दौर में जा सकती है. इसका सीधा असर देश के घरेलू और विदेशी निवेश पर होगा, जिससे इकनॉमी की रफ्तार भी निश्चित तौर पर सुस्त हो जाएगी.
कारोबार पर बड़ा असर
अस्थिर माहौल, बंद और प्रदर्शन की वजह से देश की आर्थिक गतिविधियों पर भी बुरा असर पड़ा है. लोकल कंपनियों की मैन्युफक्चरिंग पर इसका सीधा असर पड़ेगा. जाहिर है कि इससे उत्पादन कम होगा और मार्केट की डिमांड पूरी न हुई तो महंगाई भी निश्चित रूप से बढ़ेगी, जिसका खामियाजा अंतिम तौर पर आम आदमी को ही भुगतना पड़ेगा. बांग्लादेश में कपड़े का उत्पादन करने वाली तमाम कंपनियों की यूनिट. इस पर असर पड़ा तो बाहर से आयात होने वाले ब्रांडेड कपड़ों की कीमतों में भी उछाल आ सकता है.
भारत के साथ व्यापार पर असर
भारत और बांग्लादेश न सिर्फ 4,092 किलोमीटर सीमा को साझा करते हैं, बल्कि व्यापारिक तौर पर भी दोनों देश काफी करीब हैं. जाहिर है कि बांग्लादेश में किसी भी स्थिरता का असर भारत की सीमाई सुरक्षा पर भी पड़ सकता है. साथ ही द्विपक्षीय कारोबार और सप्लाई चेन पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है. भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा पार्टनर है. वित्तवर्ष 2023-24 में बांग्लादेश ने करीब 17 हजार करोड़ का सामान भारत को भेजा, जबकि दोनों देशों का कुल ट्रेड 14 अरब डॉलर (1.16 लाख करोड़ रुपये) का रहा है.
भारत ने लगाया है 70 हजार करोड़
भारत ने बांग्लादेश की तमाम विकास परियोजनाओं में करीब 70 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है. जाहिर है कि उसके साथ आई इस समस्या का असर देश के इस निवेश पर भी पड़ सकता है. भारत ने रोड, रेल और शिपिंग यार्ड बनाने सहित कई इन्फ्रा प्रोजेक्ट में पैसे लगाए हैं. एक अनुमान के मुताबिक, भारत ने बांग्लादेश के करीब 93 प्रोजेक्ट में पैसे लगाए हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 19:33 IST