इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग में पैदा हो सकती हैं 60 लाख नौकरियां, नीति आयोग ने बताया कैसे

नई दिल्ली. नीति आयोग ने गुरुवार को कहा कि देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को गति देने की जरूरत है और इस क्षेत्र में 2030 तक 500 अरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य रखा जाना चाहिए चाहिए. इस तरह की वृद्धि से लगभग 60 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित होंगे. आयोग ने ‘इलेक्ट्रॉनिक्स: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को सशक्त बनाना’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा कि इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य में तैयार वस्तुओं के विनिर्माण का योगदान 350 अरब डॉलर और कलपुर्जों के विनिर्माण की हिस्सेदारी 150 अरब डॉलर रखी गयी है.

देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन वित्त वर्ष 2022-23 तक 101 अरब डॉलर का था. इसमें तैयार वस्तुओं का हिस्सा 86 अरब डॉलर और कलपुर्जों के विनिर्माण की हिस्सेदारी 15 अरब डॉलर थी. रिपोर्ट के अनुसार, भारत से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्यात 240 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने और घरेलू मूल्यवर्धन 35 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है.

इसमें कहा गया है, ‘‘भारत ने तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए प्रौद्योगिकी-संचालित क्षेत्रों के लिए अधिक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण की आवश्यकता है.’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘राजकोषीय प्रोत्साहन और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेप सहित अनुकूल कारोबारी माहौल और मजबूत नीतिगत समर्थन के साथ, भारत को वित्त वर्ष 2029-30 तक मूल्य के हिसाब से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 500 अरब डॉलर का लक्ष्य हासिल करना चाहिए.’’

आयोग ने कहा कि मौजूदा स्थिति के अनुसार, कामकाज चलता रहा तो भारत में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का विनिर्माण वित्त वर्ष 2029-30 तक 278 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है. इसमें तैयार माल की हिस्सेदारी 253 अरब डॉलर और कलपुर्जों के विनिर्माण की हिस्सेदारी 25 अरब डॉलर होगी. वहीं रोजगार सृजन लगभग 34 लाख रहने की उम्मीद है। जबकि निर्यात 111 अब डॉलर तक पहुंच सकता है.

रिपोर्ट में इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने के लिए राजकोषीय, वित्तीय, नियामकीय और बुनियादी ढांचे के स्तर पर रणनीतिक हस्तक्षेप की सिफारिश की गयी है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण परिवेश को बढ़ावा देने के लिए कलपुर्जों और पूंजीगत वस्तुओं को बढ़ावा देना, अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन, शुल्क दर को युक्तिसंगत बनाना, कौशल विकास, बुनियादी ढांचा विकास शामिल हैं.

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है और यह 2022-23 में 155 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. वहीं उत्पादन वित्त वर्ष 2016-17 में 48 अरब डॉलर का था जो 2022-23 में 101 अरब डॉलर का हो गया. उत्पादन में वृद्धि का प्रमुख कारण मोबाइल फोन है। कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 43 प्रतिशत है.

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार 4,300 अरब डॉलर का है. इसमें चीन, ताइवान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और मलेशिया जैसे देशों का दबदबा है. भारत वर्तमान में सालाना लगभग 25 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है. इसकी वैश्विक हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है.

रिपोर्ट जारी करते हुए नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक ​​इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का सवाल है, फिलहाल भारत की हिस्सेदारी बहुत ही कम है.’’ उन्होंने कहा कि कुछ प्रकार के कलपुर्जे भारत में नहीं बनते हैं.

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