एफडी में सब अच्छा ही नहीं, हैं कुछ गड़बड़ियां भी, निवेश से पहले जरूर पढ़ लें बाते

नई दिल्ली. हाल ही में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखी गई है. कुछ बैंक वरिष्ठ नागरिकों को 8.25% और आम नागरिकों को 7.75% तक ब्याज दर प्रदान कर रहे हैं. FD को निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता है, लेकिन इसमें भी कुछ जोखिम जुड़े होते हैं.

डिफॉल्ट रिस्क
बैंक के डिफॉल्ट की संभावना कम होती है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) ₹5 लाख तक का बीमा कवर देता है. इसके बावजूद, अपनी जमा राशि को अलग-अलग बैंकों में बांटने से सुरक्षा बढ़ती है.

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ब्याज दर का रिस्क
FD में एक निश्चित दर पर ब्याज मिलता है. अगर बाजार में ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो आपका निवेश उस बढ़ी दर का लाभ नहीं ले सकता. खासकर लंबे कार्यकाल वाले FD पर यह प्रभाव अधिक होता है.

महंगाई का रिस्क
अगर FD की ब्याज दर मुद्रास्फीति दर से कम है, तो आपकी वास्तविक क्रय शक्ति घट जाती है. वास्तविक रिटर्न की गणना मुद्रास्फीति को घटाकर की जाती है.

लिक्विटी का रिस्क
FD में आपका पैसा लॉक हो जाता है. जरूरत पड़ने पर समय से पहले निकासी पर जुर्माना या कम ब्याज दर मिलती है.

FD में जोखिम कैसे घटाएं?
FD की अवधि, ब्याज दर, और अलग-अलग बैंकों में निवेश कर जोखिम कम किया जा सकता है. निवेश से पहले इन बिंदुओं पर विचार करें और अपनी वित्तीय योजना को संतुलित करें.

Tags: Business news, Fixed deposits

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