एनपीएस में 10 फीसदी कर्मचारी का और 14 फीसदी सरकार का अंशदान होता है. रिटायरमेंट पर कुल फंड का 60 फीसदी एकमुश्त मिलता है और 40 फीसदी जमा होगा. 40 फीसदी राशि की एन्युटी पर पेंशन बनती है, लेकिन महंगाई भत्ते का लाभ नहीं मिलता.
नई दिल्ली. 20 साल पहले केंद्र सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को खत्म कर नई पेंशन व्यवस्था (NPS) शुरू की थी. इसके बाद से ही देशभर के लाखों कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं और आए दिन आंदोलन-धरना भी होता रहता है. इस पर विराम लगाने के लिए मोदी सरकार ने समिति बनाई, जिसकी सिफारिश पर ठीक 20 साल बाद यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पेश की गई. कर्मचारी संगठनों ने इस योजना में भी तमाम खामियां बताकर विरोध शुरू कर दिया है. इन सभी माथापच्ची और विरोध-आंदोलन को खत्म करते हुए सरकार अगर एमपीएस में सिर्फ एक बदलाव कर दे तो सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं.
दरअसल, एनपीएस में सरकार ने एकमुश्त राशि और पेंशन के लिए दोहरी व्यवस्था की है. इन दोनों ही मानकों को पूरा करने के लिए अंशदान को भी काफी ज्यादा कर दिया गया है. लेकिन, इस योजना की तमाम खूबियों पर बस एक खामी भर पड़ जाती है. कर्मचारियों का विरोध भी इसी एक खामी को लेकर ज्यादा हो रहा है. ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार एनपीएस में सिर्फ एक और सुविधा को जोड़ दे तो यह योजना कई मायनों में ओपीएस से भी बेहतर साबित हो सकती है.
क्या है एनपीएस की सबसे बड़ी खामी
एनपीएस के तहत यह व्यवस्था की गई है कि कर्मचारी और सरकार की ओर से किए गए पूरे अंशदान और उस सर्विस के दौरान मिले ब्याज से जो फंड तैयार होगा, उसका 60 फीसदी कर्मचारी को रिटायरमेंट पर एकमुश्त दे दिया जाएगा. वहीं, 40 फीसदी रकम से एक एन्युटी प्लान खरीदना होगा. इस 40 फीसदी रकम पर जो भी ब्याज आएगा, उसे 12 बराबर भागों में बांटकर हर महीने पेंशन दी जाएगी. अब दिक्कत ये है कि 60 साल की उम्र में रिटायर होने वाले को मान लीजिए 50 हजार की पेंशन मिलनी शुरू हुई तो यही रकम फिक्स हो जाएग, जब तक कि एन्युटी के ब्याज में बढ़ोतरी न हो.
किस बात का है डर
जैसा ऊपर बताया कि एन्युटी पर जो भी ब्याज मिलेगा, उसका 12वां हिस्सा ही आपकी हर महीने की पेंशन होगी. अगर एन्युटी की ब्याज दर नहीं बदलती है तो पेंशन की जो रकम आपको 60 साल की उम्र में मिलेगी, वही 70 साल में रहेगी और 80 साल या 90 साल में भी वही रकम मिलती रहेगी. ऐसे में डर इस बात का है कि महंगाई तो औसतन हर साल 5 से 6 फीसदी की दर से बढ़ेगी. तब आपके हाथ में आने वाली पेंशन इस महंगाई का मुकाबला नहीं कर सकेगी, क्योंकि एनपीएस में सरकार आपको महंगाई भत्ते का लाभ नहीं देती है. एक डर यह भी है कि अगर एन्युटी की ब्याज दर कम हो गई तो आपके हाथ में आने वाली पेंशन भी कम हो जाएगी.
क्या है इसका समाधान
कर्मचारियों को इसी बात का सबसे ज्यादा डर है, क्योंकि महंगाई तो बढ़ रही पर आपकी पेंशन की रकम साल दर साल वही बनी रहेगी. इसका समाधान यह है कि सरकार एनपीएस में भी महंगाई भत्ते का लाभ देना शुरू कर दे, ताकि रिटायरमेंट पर मिलने वाली पेंशन से गुजारा हो सके. साथ ही हर साल बढ़ने वाली महंगाई से भी पेंशन मुकाबला कर सके.
फिर तो ओपीएस से अच्छी हो जाएगी स्कीम
जानकारों का कहना है कि अगर सरकार एनपीएस में महंगाई भत्ते का लाभ देना शुरू कर दे तो यह स्कीम ओल्ड पेंशन स्कीम से भी कई मायनों में बेहतर साबित हो सकती है. इसकी वजह यह है कि ओपीएस में कर्मचारी को रिटायरमेंट पर काफी कम पैसा एकमुश्त मिलता है, क्योंकि इसमें कर्मचारी का कोई अंशदान नहीं होता और सिर्फ सरकार की ओर से एक मामूली रकम डाली जाती है. वहीं, एनपीएस में हर महीने सैलरी का 10 फीसदी कर्मचारी की ओर से और 14 फीसदी सरकार की ओर से जमा किया जाता है. इस पर सालाना आराम से 9 से 10 फीसदी का ब्याज भी मिल जाता है. इस लिहाज से 25-30 साल की नौकरी में ढाई से 3 करोड़ का फंड बन जाता है. इसका 60 फीसदी यानी 1.80 करोड़ रुपये एकमुश्त मिल जाएगा, जो ओपीएस में मिलना संभव नहीं.
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FIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 15:17 IST