होम लोन पर RBI सख्‍त! कर्ज लेने वालों की होगी निगरानी, क्‍या है मामला

हाइलाइट्स

बैंक और एनबीएफसी होम लोन पर टॉप अप देते हैं. गवर्नर ने कहा- इन पैसों का गलत इस्‍तेमाल होता है. इसकी निगरानी के लिए बैंकों को तंत्र बनाना चाहिए.

नई दिल्‍ली. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने गुरुवार को एमपीसी बैठक के बाद होम और ऑटो लोन को लेकर बड़ी चिंता जताई. उन्‍होंने कहा कि होम और ऑटो लोन पर टॉप अप लोन बांटने को लेकर बैंकों को निगरानी तंत्र बनाना चाहिए. वैसे यह सभी बैंकों का मुद्दा नहीं है, बल्कि कुछ ही बैंकों साथ ऐसी समस्‍या है, लेकिन इसे लेकर बाकायदा तंत्र बनाया जाना चाहिए.

गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि टॉप अप लोन बांटने में बैंक और अन्‍य फाइनेंस कंपनियां नियमों का पालन नहीं कर रही हैं. इसका असर वित्‍तीय क्षेत्र की स्थिरता पर भी दिख सकता है. ऐसे में बैंकों और एनबीएफसी को इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा. गवर्नर ने कहा कि टॉप लोन बांटने से लेकर उसके खर्च होने के तरीकों की निगरानी और स्‍क्रूटनी करने का तंत्र बनाया जाए, ताकि किसी गंभीर समस्‍या से बचा जा सके.

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कहां हो रही गड़बड़ी
गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि आवास ऋण के ऊपर कर्ज (टॉप-अप) में वृद्धि सभी बैंकों का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह कुछ इकाइयों तक ही सीमित है. उन्‍होंने कहा, ‘टॉप-अप आवास कर्ज में नियामकीय आवश्यकताओं का पालन कुछ इकाइयों द्वारा नहीं किया जा रहा है और यह कोई प्रणाली-स्तर की समस्या नहीं है. ऐसे मामलों को पर्यवेक्षी स्तर पर द्विपक्षीय रूप से निपटाया जा रहा है.

गवर्नर ने क्‍यों जताई चिंता
बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) भी गोल्‍ड लोन जैसे अन्य गारंटी वाले कर्ज पर टॉप-अप की पेशकश कर रही हैं. टॉप-अप कर्ज खुदरा कर्ज के साथ-साथ होम लोन के ऊपर लिया जाने वाला कर्ज है. गवर्नर ने कहा, इस तरह की प्रक्रियाओं के कारण कर्ज राशि का उपयोग गैर-उत्पादक क्षेत्रों में या सट्टेबाजी के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. लिहाजा बैंकों और एनबीएफसी को ऐसी प्रक्रियाओं की समीक्षा करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने की सलाह दी जाती है.

क्‍या करने का दिया निर्देश
दास ने कहा है कि इसलिए बैंकों को ऋण-से-मूल्य (एलटीवी) अनुपात, जोखिम भार और टॉप-अप के संबंध में धन के अंतिम उपयोग की निगरानी से संबंधित नियामकीय निर्देशों का पालन करना चाहिए. लोन और जमा वृद्धि के बीच अंतर से परिसंपत्ति देयता में असंतुलन या तरलता प्रबंधन की समस्या उत्पन्न हो सकती है. इससे बैंकिंग प्रणाली को संरचनात्मक तरलता संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

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