दास ने स्पष्ट किया कि RBI अपने फैसले घरेलू आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर करेगा. अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित नहीं होगा भारतीय रिजर्व बैंक. दास ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि 7.2% रहने की उम्मीद है.
नई दिल्ली . अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती करने के बाद भारत में भी रेपो रेट में कटौती होने के कयास लगाए जा रहे हैं. कुछ बाजार विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि दिसंबर में भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करेगा. अब रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. दास ने कहा है कि फिलहाल ऐसा ब्याज दर में कटौती करना “समय से पहले और बेहद जोखिम भरा” हो सकता है. वर्तमान परिस्थितियों में, जब मुद्रास्फीति का स्तर ऊँचा है और आगे भी इसमें वृद्धि की संभावना बनी हुई है, ब्याज दरों में कटौती उचित नहीं होगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दिसंबर में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में आरबीआई दरों में कटौती करने की कोई जल्दी में नहीं है.
दास ने एक ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “जब मुद्रास्फीति 5.5% पर हो और अगले आंकड़ों में भी इसका ऊँचा बने रहने का अनुमान हो, तो दरों में कटौती करना संभव नहीं है. खासकर तब जब आर्थिक वृद्धि अच्छी गति से आगे बढ़ रही हो.” दास ने कहा कि रिजर्व बैंक का मुख्य उद्देश्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखना और मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य के दायरे में रखना है.
मुद्रास्फीति पर नजर, विकास दर पर भरोसा
अक्टूबर में हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की पिछली बैठक में आरबीआई ने अपना रुख तटस्थ रखा था और रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बनाए रखा. दास ने इस निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि “हम पीछे नहीं हैं, भारतीय विकास की कहानी बरकरार है और विकास दर में मजबूती है.” उन्होंने बताया कि RBI के अनुमान के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि 7.2% रहने की उम्मीद है. दास ने यह भी कहा कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में गिरावट की संभावना है, लेकिन RBI किसी भी निर्णय से पहले ताजा आंकड़ों का इंतजार करेगा और समग्र मुद्रास्फीति के रुझान पर नजर रखेगा.
बाहरी कारकों पर निर्भर नहीं RBI की नीति
दास ने स्पष्ट किया कि RBI अपने फैसले घरेलू आर्थिक परिस्थितियों पर आधारित करता है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित नहीं होता. उन्होंने कहा, “हमारे निर्णय मुख्य रूप से घरेलू मुद्रास्फीति, आर्थिक वृद्धि और व्यापक आर्थिक स्थिति पर निर्भर करते हैं.” दिसंबर में ब्याज दर कटौती की अटकलों पर दास ने कहा कि आरबीआई जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाएगा.
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FIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 07:44 IST