नई दिल्ली. भारत में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में बड़ा उछाल देखा गया है. आईसीआरए एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी से नवंबर के बीच एसआईपी में शुद्ध निवेश 9.14 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जो पिछले साल 2.74 लाख करोड़ रुपये था. यह 233% की सालाना वृद्धि को दिखाता है. भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद इसका लचीलापन इस वृद्धि का मुख्य कारण है.
नवंबर 2024 तक, रजिस्टर्ड नए एसआईपी की संख्या 49.47 लाख तक पहुंच गई, जो पिछले साल इसी अवधि में 30.80 लाख थी. नवंबर में एसआईपी के तहत एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 13.54 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 2023 में 9.31 लाख करोड़ रुपये था. म्यूचुअल फंड उद्योग ने पिछले एक साल में 135% से अधिक शुद्ध निवेश और 39% शुद्ध एयूएम की वृद्धि देखी है.
ये भी पढ़ें- SIP या SWP, क्या है दोनों में फर्क, किससे पूरी होंगी आपकी जरूरतें? यहां है जवाब
आगे भी आएगी तेजी
आईसीआरए एनालिटिक्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अश्विनी कुमार का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और वैश्विक अर्थव्यवस्था में देश की मजबूत स्थिति के कारण म्यूचुअल फंड उद्योग में आने वाले वर्षों में और अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद है.
कैसे बढ़ा निवेश
नवंबर 2024 में म्यूचुअल फंड में कुल निवेश 60,295.30 करोड़ रुपये पहुंच गया, जबकि पिछले साल नवंबर में यह 25,615.65 करोड़ रुपये था. इस दौरान शुद्ध एयूएम ने 68.08 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया, जो पिछले साल 49.05 लाख करोड़ रुपये था. इक्विटी श्रेणी में लार्ज कैप फंड्स में सबसे ज्यादा निवेश हुआ, जो 731% बढ़कर 2,547.92 करोड़ रुपये हो गया. अश्विनी कुमार ने कहा कि भू-राजनीतिक चुनौतियों और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, लार्ज और मिड-कैप फंड निवेशकों के लिए मुख्य आकर्षण बन सकते हैं. स्मॉल और मिड-कैप फंड्स में भी निवेशकों की रुचि बनी रहने की संभावना है.
Tags: Business news, Personal finance
FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 03:01 IST