नई दिल्ली. केंद्र सरकार का एक छोटा-सा कदम अब हर घर लेने वाले की जेब पर भारी पड़ने वाला है. सरकार ने FSI और अतिरिक्त FSI चार्ज पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का प्रस्ताव दिया है. यदि यह लागू होता है तो घर खरीदने वालों को घर की अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी. सवाल है कि कितनी अधिक? यदि आप 50 लाख रुपये का कोई 2BHK खरीदने जा रहे हैं तो आपको 5 लाख रुपये अधिक देने पड़ेंगे, जबकि 1 करोड़ का घर खरीदने वालों को 10 लाख रुपये एक्सट्रा देने पड़ सकते हैं.
सरकार के इस नए नियम को लेकर बिल्डर्स की सबसे बड़ी संस्था क्रेडाई ने चिंता जताई है. क्रेडाई की मानें तो इस कदम से एक करोड़ रुपये की कीमत वाला लग्जरी फ्लैट 10 लाख रुपये महंगा हो जाएगा. बिल्डरों के सबसे बड़े संगठन क्रेडाई ने सरकार से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की मांग की है. संगठन का कहना है कि ऐसा होने पर मकानों की कीमतें 10% तक बढ़ सकती हैं, जिससे घर खरीदने की योजना बना रहे लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और मांग घटेगी.
दरअसल, सरकार ने एफएसआई चार्ज पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने की घोषणा की है. इससे चिंतित क्रेडाई (कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने वित्त मंत्री को लिखे एक पत्र में कहा कि यह कदम मकान बनाने की लागत बढ़ा देगा, जिससे सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट्स भी महंगे हो जाएंगे. इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा, जो मध्यम वर्गीय हैं और जिनके लिए घर खरीदना पहले से ही चुनौती है.
समझ लीजिए एफएसआई क्या है और इसका लागत पर प्रभाव
एफएसआई वह अनुपात है जो किसी प्लॉट के कुल क्षेत्रफल और उस पर निर्मित कुल फ्लोर एरिया को दर्शाता है. डेवलपर्स एफएसआई खरीदते हैं, ताकि वे अधिक फ्लोर स्पेस बना सकें. यदि एफएसआई पर जीएसटी 18 फीसदी लगाया जाता है, तो इसका सीधा असर निर्माण की लागत पर पड़ेगा. एफएसआई लागत और जीएसटी की कैलकुलेशन. मान लीजिए-
• डेवलपर ने 1,000 वर्ग मीटर का प्लॉट खरीदा.
• एफएसआई की कीमत ₹5,000 प्रति वर्ग मीटर है.
• कुल एफएसआई लागत = ₹5,000 × 1,000 = ₹50,00,000
जीएसटी जोड़ने के बाद
• एफएसआई पर 18% जीएसटी = ₹50,00,000 × 18% = ₹9,00,000.
• नई लागत = ₹50,00,000 + ₹9,00,000 = ₹59,00,000.
क्रेडाई ने यह भी कहा कि अगर सरकार पुरानी तारीख से यह नियम लागू करती है, तो डेवलपर्स पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा. इससे कई प्रोजेक्ट्स बीच में ही रुक सकते हैं, और जो घर खरीदार पहले ही निवेश कर चुके हैं, उनकी बचत पर भी असर पड़ेगा.
संगठन ने कहा कि निर्माण की लागत पहले से ही कच्चे माल की महंगाई से बढ़ रही है. अगर एफएसआई चार्ज पर जीएसटी लगाया गया, तो यह सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट्स को और महंगा बना देगा. मध्यम वर्ग के करीब 70% लोग ऐसे मकानों की खरीद करते हैं, लेकिन बढ़ी हुई कीमतों के चलते उनकी पहुंच से ये मकान बाहर हो सकते हैं.
मकान सप्लाई और मांग पर असर
क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि एफएसआई चार्ज किसी भी प्रोजेक्ट की लागत का अहम हिस्सा है. इस पर 18% जीएसटी लगाना मकानों की सप्लाई और मांग, दोनों पर बुरा असर डालेगा. मकानों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे घर खरीदना और मुश्किल हो जाएगा. सरकार को इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करना चाहिए और एफएसआई चार्ज को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहिए.
आवास की मांग, सप्लाई और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर से बचाने के लिए, क्रेडाई ने सरकार से एफएसआई शुल्क को जीएसटी से बाहर रखने और मौजूदा नियम बनाए रखने की अपील की है, ताकि आवासीय योजनाओं पर इसका नकारात्मक असर न पड़े.
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FIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 16:47 IST