नई दिल्ली. आजकल विदेशों में संपत्ति खरीदने का ट्रेंड भारतीय लोगों के बीच तेजी से बढ़ रहा है, और अब तो लोग अपने बच्चों के नाम पर भी विदेशों में मकान खरीदे रहे हैं. माता-पिता अपने नाबालिग बच्चों के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं, ताकि वे भारतीय रिजर्व बैंक की सीमाओं के भीतर रहते हुए भी बड़ी संपत्तियों में निवेश कर सकें. इससे संबंधित कई तकनीकी और कानूनी बातें हैं, जिन पर सही जानकारी और पारदर्शिता बेहद जरूरी हो जाती है. इसमें किसी भी तरह की चूक भारी जुर्माने और कानूनी कार्रवाई का कारण बन सकती है.
चाहे बढ़िया धूप वाले कैलिफोर्निया के घर, दुबई के अमीरात हिल्स और पाम जुमेराह जैसे खास इलाकों में आलीशान बंगले. भारतीयों की नज़र इन सब पर है. यूएई इस मामले में सबसे पसंदीदा जगह बनकर उभरा है. ऐसा करने के लिए नाबालिग भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की लिबरलाइज्ड रमिटेंस स्कीम (Liberalised Remittance Scheme) के तहत पैसा विदेशों में भेजा जा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के दिनों में विदेशों में निवेश पर बढ़ी जांच और ब्लैक मनी एक्ट के तहत कड़ी सजा के कारण, हाई नेट वर्थ वाले लोग (HNIs) विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं.
क्या है LRS, कैसे घर खरीदना हुआ मुश्किल
आरबीआई की LRS योजना के तहत एक व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में 250,000 डॉलर (लगभग 2.08 करोड़ रुपये) से अधिक धन विदेश नहीं भेज सकता, जिसमें संपत्ति खरीदना भी शामिल है. 24 अगस्त 2022 से लागू हुए संशोधन के अनुसार, यदि भेजी गई राशि 180 दिनों के भीतर निवेश नहीं की जाती है, तो उसे वापस भारत लाना होता है.
पहले, लोग विदेशी बैंकों में धन जमा कर बड़ी संपत्ति खरीदने के लिए पर्याप्त धन जुटा लेते थे, जैसे दुबई में एक मिलियन डॉलर (लगभग 8.3 करोड़ रुपये) का फ्लैट. अब, 180 दिनों की समय सीमा ने इसे मुश्किल बना दिया है, और कुछ लोग विदेशी इक्विटी में निवेश की जटिलताओं से बचने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं.
नाबालिगों का इस्तेमाल क्यों?
नाबालिगों का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है, ताकि पर्याप्त धनराशि एकत्र की जा सके और सीधे संपत्ति खरीदी जा सके. CNK & Associates के टैक्स पार्टनर गौतम नायक बताते हैं, “माता-पिता से प्राप्त उपहारों का उपयोग करके नाबालिग LRS के तहत विदेश में धन भेज सकते हैं. इसके अलावा, माता-पिता से बच्चों को दिए गए उपहारों पर भारत में कोई टैक्स नहीं लगता.”
अगर कोई दंपत्ति और उनके दो नाबालिग बच्चे दुबई में संपत्ति खरीदने के लिए पैसा भेजते हैं, तो DM Harish & Co के एडवोकेट और पार्टनर अनिल हरीश सलाह देते हैं कि संपत्ति सभी चारों के नाम पर होनी चाहिए, जिसमें नाबालिग भी शामिल हों. दुबई के रियल एस्टेट विशेषज्ञ बताते हैं कि नाबालिग, संरक्षक या ट्रस्टी के माध्यम से संपत्ति रख सकते हैं, और भारत की ओर से कोई नियम लागू नहीं होता.
हरीश यह भी बताते हैं कि हर भारतीय करदाता को, जिसके पास विदेश में संपत्ति है, इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय उन संपत्तियों का विवरण देना चाहिए. यदि विदेशी संपत्ति से आय प्राप्त होती है, तो उसे Schedule FSI (विदेशी स्रोत से प्राप्त आय) में रिपोर्ट करना होगा. अगर सही विवरण नहीं दिया जाता, तो ब्लैक मनी एक्ट के तहत 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.
बच्चों के नाम पर संपत्ति और आय
राश्मिन संघवी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रुत्विक संघवी कहते हैं, “अगर कोई विदेशी संपत्ति आय बनाकर दे रही है, जैसे किराए से इनकम, तो इसे उस माता-पिता के नाम पर जोड़ा जाएगा, जिसकी आय अधिक है. एक ‘लाभार्थी’ जो इस संपत्ति से आय प्राप्त कर रहा हो, उसे I-T रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं होती, अगर वो आय किसी और व्यक्ति के साथ जुड़ी हुई है.”
हालांकि, यह मुद्दा काफी जटिल हो सकता है. अगर एक नाबालिग दुबई की संपत्ति का सह-स्वामी है, तो वह सिर्फ एक लाभार्थी नहीं होता. भारतीय टैक्स नियमों में आय को जोड़ने का प्रावधान है, लेकिन संपत्ति को जोड़ने का नहीं.
CNK & Associates के टैक्स पार्टनर गौतम नायक इस समस्या को और विस्तार से समझाते हैं, “नाबालिग का टैक्स रिटर्न उसके माता-पिता को संरक्षक के रूप में दाखिल करना होता है, जिसे नाबालिग के खाते से आय प्राप्त करने के प्रमाण के बिना पंजीकरण नहीं किया जाता.”
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FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 11:49 IST