अब और तेज होगा रेलवे का विकास, 24000 करोड़ के 8 प्रोजेक्ट्स को दी मंजूरी

नई दिल्ली. मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने शुक्रवार को आठ नई रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दे दी. सरकार ने इन परियोजनाओं के संबंध में कहा है कि इससे संपर्क बढ़ेगा, यात्रा आसान होगी, तेल आयात में कमी आएगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल निर्णय के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि प्रस्तावित परियोजनाएं संपर्क से वंचित क्षेत्रों को जोड़कर लॉजिस्टिक एफिशिएंसी में सुधार लाएंगी और परिवहन नेटवर्क को बेहतर बनाएंगी.

उन्होंने आगे कहा कि इससे आपूर्ति श्रृंखला सुव्यवस्थित होगी और आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी. बकौल वैष्णव, परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत 24,657 करोड़ रुपये है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं से 767 करोड़ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन कम होगा. यह 30 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है.

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रेलवे की खिंचाई
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भारतीय रेलवे की 2,604.40 करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे को लेकर खिंचाई की है. रेलवे को यह घाटा कर्ज और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की वसूली नहीं होने से जुड़े मामलों के अध्ययन, किराये के अलावा अन्य स्रोतों से आय सृजित करने के लिए अनुचित निर्णय, गलत तरीके से छूट अनुदान तथा बेमतलब के खर्च के कारण हुआ है. कुल 33 मामलों के अध्ययन में यह बात सामने आई है.

कैग के अनुसार, रिपोर्ट में उल्लेखित मामले वे हैं जो 2021-22 की अवधि के लिए परीक्षण ऑडिट और पहले के वर्षों में सामने में आये थे। लेकिन पिछली ऑडिट रिपोर्ट में ये चीजें नहीं आ पाई थीं. इन 33 मामलों में से एक में रेल मंत्रालय को ब्याज में 834.72 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. उसे एक भूमि के विकास के लिए इरकॉन को दिए गए 3,200 करोड़ रुपये के ऋण पर तीसरे पक्ष को भुगतान करने के लिए यह राशि देने को मजबूर होना पड़ा. इसमें कहा गया है कि इरकॉन ने ब्याज सहित कर्ज का भुगतान किया लेकिन जमीन का कोई विकास नहीं किया गया. एक अन्य मामले में यह पाया गया कि रेलवे ने इंजन की ‘शंटिंग’ गतिविधि के लिए शुल्क नहीं लगाया। इसके परिणामस्वरूप पूर्वी तट रेलवे को 2018 से 2022 तक 149.12 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ.

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