दूर नहीं अब बुलेट ट्रेन का सफर! पता चल गया कब होगा ट्रायल रन, खर्च किए जाएंगे 173 करोड़

नई दिल्ली. देश में पहली बुलेट ट्रेन को पटरी पर लाने का काम अब धीरे-धीरे पूरा होता जा रहा है. वह दिन दूर नहीं जब देश में करीब 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से रेलगाड़ी दौड़ेगी. देश की पहली हाईस्पीड ट्रेन के मेड इन इंडिया डिब्बों का परीक्षण देश की पहली क्लाइमेटिक चेंबर लेबोरेट्री में किया जाएगा. इन डिब्बों का निर्माण भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) द्वारा चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में किया जा रहा है.

मिली जानकारी के अनुसार, देश के पहले स्वदेशी हाईस्पीड डिब्बों का ट्रायल 2026 में किया जाएगा. सीएनएन न्यूज18 को मिले दस्तावेजों के अनुसार, इन डिब्बों को 250-280 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ाकर देखा जाएगा. बता दें कि हाईस्पीड ट्रेन के डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग, सप्लाई, टेस्टिंग और कमिशनिंग की जिम्मेदारी बीईएमएल के पास है. कंपनी चाहती है कि विशेषज्ञ 31 जनवरी 2026 से पहले चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में क्लाइमेटिक चेंबर लेबोरेट्री का निर्माण करें.

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867 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रेक्ट
बीईएमएल को 2 हाईस्पीड ट्रेन सेट्स बनाने का ठेका मिला है. इस टेंडर की टोटल कॉस्ट 867 करोड़ रुपये है. हर कोच के निर्माण में 27.86 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं. गौरतलब है कि पहले हाईस्पीड ट्रेन कोच जापानी कंपनी द्वारा बनाए जा रहे थे लेकिन इनकी लागत बहुत अधिक आ रही थी. इसलिए अब भारत में ही इनका निर्माण किया जा रहा है. बीईएमल 2026 के अंत तक 2 ट्रेन सेट तैयार करके दे सकता है ताकि मुबंई और अहमदाबाद के बीच पहली हाईस्पीड ट्रेन चलाई जा सके.

क्या होता है क्लाइमेटिक चेंबर?
क्लाइमेटिक चेंबर्स बनाने वाली ग्लोबल फर्म एसबीबी अनटर्नहमेन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, क्लाइमेटिक चेंबर्स कृत्रिम रूप से बनाया गया इलाका होता है जहां गाड़ी को ठंड, बर्फ या गर्म परिस्तिथियों में दौड़ा कर देखा जाता है. इससे यह पता लगाया जाता है कि ऐसी परिस्थितियों में गाड़ी कैसे रोलिंग स्टॉक (ट्रेन) कैसे बर्ताव कर रही है. आईसीएफ में जो चेंबर बनाया जाएगा वह ये भी देखेगा कि ट्रेन का एनर्जी कंजंप्शन कितना है. फ्रांस के पास भी एक ऐसी लेबोरेट्री है जिसमें -45°C से 70°C तक का तापमान टेस्ट किया जा सकता है.

Tags: Business news, Indian railway

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