Railway News : रेल यात्रियों का सफर होगा सुहाना, बनेगी 50 अमृत भारत ट्रेनें

हाइलाइट्स

अमृत भारत ट्रेन में आरामदायक सीटें हैं.हर सीट के पास चार्जिंग प्वाइंट दिया गया है.यात्रियों को बॉटल होल्डर की भी सुविधा दी गई है.

नई दिल्‍ली. देश में आधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रेनें लोगों को काफी पसंद आ रही है. इसी को देखते हुए वंदे भारत एक्सप्रेस के बाद सरकार ने अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाई है. सरकार ने अब 50 अमृत भारत ट्रेनें और बनाने का फैसला किया है. यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने सदन में दी. रेल मंत्री ने कहा कि आने वाले महीनों में 2500 जनरल कोच बनाने का काम शुरू किया जाएगा. इस तरह के कुल 10,000 कोच बनाने का लक्ष्‍य रखा गया है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने 30 दिसंबर 2023 को दो अमृत भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी. लॉन्च की गई दो अमृत भारत में एक उत्तर प्रदेश के अयोध्या से बिहार के दरभंगा तक चलाई जा रही है, तो वहीं दूसरी ट्रेन पश्चिम बंगाल के मालदा से कर्नाटक के बेंगलुरु के बीच चल रही है.

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मेल-पैसेंजर ट्रेनों में होंगे चार जनरल कोच
अश्विनी वैष्णव ने रेलवे में बढ़ती यात्रा मांग के बारे में चिंताओं का जवाब देते हुए सदन को बताया कि चार जनरल कोच रखने की मानक संरचना को अब सभी मेल पैसेंजर ट्रेनों में लागू किया जाएगा. ट्रेनों में दो-तिहाई जनरल कोच और एक-तिहाई वातानुकूलित कोच का अनुपात बनाए रखा जा रहा है.

2964 स्टेशनों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से किया गया कवर
रेलमंत्री ने लोकसभा में बताया कि 2014-24 के बीच 2964 स्टेशनों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से कवर किया गया. साथ ही इनको इंटरऑपरेबल बनाने के लिए कदम उठाए गए. यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए वैष्णव ने कहा कि मानव रहित लेवल क्रॉसिंग के चलते होने वाली चिंताओं को कम करने के लिए रेल ओवर ब्रिज और अंडरपास बनाए गए हैं. उन्होंने कहा कि 837 इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम भी लगाए गए हैं. कवच के बारे में, वैष्णव ने विपक्ष पर अपने कार्यकाल के दौरान कवच जैसे उपकरणों के लिए सुरक्षा प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं करने का आरोप लगाया जिसे 2006 में लागू किया गया था.

2014 तक नहीं थी एटीपी
वैष्‍णव ने यह भी उल्लेख किया कि स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली 2014 तक “रेल नेटवर्क के किसी भी किलोमीटर” पर काम नहीं कर रही थी. उन्होंने कहा कि केवल प्रयोग किए गए थे, लेकिन उन्‍हें कभी लागू नहीं किया गया. वैष्णव ने इसके उपयोग के मामले को संदर्भित करते हुए सदन को बताया कि जब ट्रेनें तेज गति से चलती हैं, तो सिग्नल की निगरानी करना मुश्किल हो जाता है.

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