रेलवे का HO कोटा है बड़ा खास, झटपट कंफर्म हो जाती है वेटिंग टिकट

Railways knowledge : भारत में ट्रेन यातायात का एक पसंदीदा साधन है. हर रोज लाखों यात्री ट्रेनों में सफर करते हैं. यही वजह है आरक्षित डिब्‍बों में कंफर्म टिकट मिलना काफी मुश्किल काम होता है. कंफर्म टिकट पाने के लिए काफी समय पहले बुकिंग करनी पड़ती है. इसके बाद भी बहुत से यात्रियों के टिकट वेटिंग लिस्‍ट में होते हैं. ट्रेन में टिकट बुक करते हैं तो अलग-अलग कोटा के जरिए बुकिंग की जाती है. वेटिंग टिकट को कंफर्म कराने का तरीका रेलवे के एचओ कोटा (High Official Quota) है. एचओ कोटा के जरिए टिकट तुरंत कंफर्म हो जाती है. हां, इस कोटा में टिकट पाने को कुछ शर्तों को पूरा करना होता है. वैसे तो एचओ कोटा रेलवे अधिकारियों, वीआईपी और नौकरशाहों के लिए होता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में आम यात्री भी इसके तहत कंफर्म टिकट पा सकता है.

ट्रेनों में सीनियर सिटीजन सहित कई वर्गों का कोटा होता है. रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारियों, विशिष्‍ठ व्‍यक्तियों और नौकरशाहों के लिए भी एक कोटा होता है जिसे, एचओ कोटा कहते हैं. इस कोटा के तहत सीटों की संख्‍या काफी कम होती है. इस कोटा का का उल्‍लेख टिकट बुक करते वक्‍त नहीं करना होता है. एचओ कोटा उन टिकटों पर लागू किया जा सकता है जो सामान्य कोटा में बुक किए गए हैं लेकिन वेटिंग लिस्ट में हैं. एचओ कोटा के तहत कुछ सीटें रिजर्व रहती हैं, इसलिए इसमें आवेदन करने पर टिकट बहुत जल्‍दी कंफर्म होती है.

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सामान्‍य यात्री भी हकदार
वैसे तो यह कोटा खास व्‍यक्तियों के लिए होता है, लेकिन आम यात्री भी कुछ विशेष परिस्थितियों में एचओ कोटा का फायदा उठाकर अपनी टिकट कंफर्म करा सकता है. इस कोटा का लाभ उठाने के लिए जरूरी शर्त यह है कि यात्री का सफर करना अत्‍यंत आवश्‍क होना चाहिए. उसे दस्‍तावेजों से यह बात साबित करनी होती है कि उसके लिए सफर करना बहुत जरूरी है.

ऐसे करें आवेदन
आम यात्री को HO कोटे के लिए आवेदन करने के लिए यात्रा की तारीख से एक दिन पहले इमरजेंसी की स्थिति को साबित करने वाले सभी दस्तावेजों के साथ मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक के पास आवेदन (इमरजेंसी कोटा (EQ) फॉर्म) देना होता है. इस आवेदन पर राजपत्रित अधिकारी के हस्ताक्षर भी होने चाहिए. आवेदन मिलने के बाद इसकी जानकारी मंडल/ जोनल ऑफिस के पास भेजी जाती है और फिर अप्रूव होने पर टिकट कन्फर्म हो जाती है.

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