10 वर्षों में अव्वल दर्जे तक पहुंच गई रेलवे सुरक्षा, किए गए जबरदस्त सुधार, हादसों की संख्या बहुत कम

भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे सिस्टम है, जो अमेरिका, रूस और चीन के बाद आता है. पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रेलवे ने रेलवे के बुनियादी ढांचे को विकसित करने, सिस्टम का आधुनिकीकरण करने और संचालन की दक्षता और सुरक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं. भारतीय रेलवे ने बीते वर्षों में कई सुरक्षा उपाय लागू किए हैं, जिससे ट्रेन संचालन की सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है. ट्रेन दुर्घटनाओं में कमी आना इस बात का सबूत है.

दुर्घटनाओं में कमी के ग्राफ के अनुसार, गंभीर ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या में तेजी से गिरावट आई है, जो 2000-01 में 473 से घटकर 2022-23 में 40 हो गई. 2004 से 2014 तक, गंभीर ट्रेन दुर्घटनाओं की औसत संख्या प्रति वर्ष 171 थी, जो 2014 से 2024 की अवधि में घटकर 68 प्रति वर्ष हो गई है.

एक नजर में रेलवे सेफ्टी
ब्रिज सुरक्षा में, एक ब्रिज प्रबंधन प्रणाली (BMS) वेब-आधारित आईटी एप्लिकेशन विकसित की गई है, जो ब्रिज सूचना को 24×7 प्रदान करती है. नई तकनीकों का उपयोग ब्रिज निरीक्षण के लिए किया जाता है, जैसे निरंतर जल स्तर मॉनिटरिंग, ड्रोन निरीक्षण, और नदी के तल का 3D स्कैनिंग.

रोलिंग स्टॉक की सुरक्षा में सुधार के लिए, ऑनलाइन मॉनिटरिंग ऑफ रोलिंग स्टॉक सिस्टम (OMRS) और व्हील इम्पैक्ट लोड डिटेक्टर (WILD) जैसी उन्नत तकनीकें अपनाई गई हैं. रेलिंग स्टॉक पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (RFID) टैग लगाए गए हैं ताकि ऑटोमेटिक ट्रैकिंग संभव हो.

सेफ्टी के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए?

1. भारतीय रेलवे ने ट्रेन संचालन की सुरक्षा में सुधार के कई उपाय लिए हैं. इनमें से एक महत्वपूर्ण उपाय था राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK) का शुरू किया जाना. इसमें 2017-18 में 1 लाख करोड़ रुपये लगाकर सेफ्टी एसेट्स को रिप्लेसमेंट, रिन्यूल, अपग्रेड किया गया. यह सुरक्षा मानकों में सुधार के लिए हितकर साबित हुआ. 2022-23 में, सरकार ने RRSK को और पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया. इसे 45,000 करोड़ रुपये के बजट देते हुए बढ़ाया गया.

2. सुरक्षा से जुड़े अन्य उपायों में से एक है KAVACH प्रणाली. यह राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) सिस्टम के रूप में अपनाई गई है. यह सिस्टम लोको पायलट की मदद करता है और अगर पायलट ब्रेक नहीं लगाता है, तो यह सिस्टम अपने आप ब्रेक लगा देता है. यह सिस्टम खराब मौसम में भी सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करता है. कवच को अब तक 1,465 Rkm और 121 लोकोमोटिव्स पर लागू किया गया है.

3. ट्रेन सुरक्षा में और भी सुधार के लिए 6,586 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (EI) की गई. इसके अतिरिक्त, हाई डेंसिटी रूट्स पर 4,111 RKm पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग (ABS) लागू किया गया है. 31 अक्टूबर 2023 तक 11,137 गेट्स को सिग्नल के साथ इंटरलॉक किया गया है. सारे ब्रॉड गेज रूट्स पर अन-मैनड लेवल क्रॉसिंग को 2019 के जनवरी तक पूरा कर लिया गया था.

4. इसके अलावा, सभी लोकोमोटिव्स में विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस (VCD) लगाया गया, ताकि लोकोपायलट को अलर्ट रखा जा सके, और फॉग सेफ्टी डिवाइस (FSD) को कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में पायलटों को प्रदान किया गया है.

5. ट्रैक सुरक्षा के लिए, रखरखाव में एडवांस्ड ट्रैक रिकॉर्डिंग कारों का उपयोग किया जा रहा है, जो पहले से तेज और अधिक विश्वसनीय हैं. 31 मई 2023 तक, 6,609 स्टेशनों पर पूरा ट्रैक सर्किटिंग किया गया है. रेल के अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग के माध्यम से समस्याओं की पहचान की जा रही है. इससे भी ट्रैक की सुरक्षा की पुष्टि होती है.

6. पुल सुरक्षा के मामले में, एक ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम (BMS), एक वेब-आधारित IT एप्लिकेशन, विकसित किया गया है जो पुल सूचना का 24×7 एक्सेस प्रदान करता है. नई टेक्नोलॉजी जैसे कि पुल के निरीक्षण के लिए निरंतर जल स्तर मॉनिटरिंग, ड्रोन निरीक्षण, और नदी के बेड की 3D स्कैनिंग इत्यादी लागू की गई हैं.

7. रोलिंग स्टॉक की सुरक्षा में सुधार के लिए, ऑनलाइन मॉनिटरिंग ऑफ़ रोलिंग स्टॉक सिस्टम (OMRS) और व्हील इम्पैक्ट लोड डिटेक्टर (WILD) जैसी एडवांस्ड तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जो पूर्वानुमानात्मक रखरखाव के लिए हैं. रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैग्स को रोलिंग स्टॉक में लगाया जा रहा है, जिससे स्वचालित ट्रैकिंग संभव हो. पारंपरिक ICF डिजाइन कोचों को LHB डिजाइन कोचों से रिप्लेस किए जाने का काम जारी है.

सुरक्षा सुधारों का पूरा ब्यौरा

  • सुरक्षा से जुड़े कामों पर खर्च 2004-14 में 70,273 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-24 के दौरान 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गए हैं, यानी 2.5 गुना बढ़ गए हैं.
  • ट्रैक की नवीकरण पर खर्च 2004-14 में 47,018 करोड़ रुपये था, जो 2014-24 में 1,09,659 करोड़ रुपये हो गए हैं, यानी खर्च 2.33 गुना बढ़ गया है.
  • वेल्ड फेल्योर्स 2013-14 में 3,699 से कम करके 2023-24 में 481 हो गए हैं, यानी 87% कम हो गए हैं.
  • रेल फ्रैक्चर्स 85% कम हो गए हैं. 2013-14 में 2,548 से घटकर 2023-24 में 383 हो गए हैं.
  • लेवल क्रॉसिंग (LC) करने वाली सड़कों को हटाने पर खर्च 2004-14 में 5,726 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-24 में 36,699 करोड़ रुपये पहुंच गया है, यानी 6.4 गुना बढ़ोतरी.
  • अनमैन्ड लेवल क्रॉसिंग गेट्स 31.03.2014 को 8,948 थे, मगर अब 0 हो गए हैं. 100% सुधार.
  • रोड ओवर ब्रिज की निर्माण 2.9 गुना बढ़ गया है. 2004-14 में 4,148 से बढ़कर 2014-24 में 11,945 हो गए हैं.
  • ब्रिज सुधार पर खर्च 2004-14 में 3,919 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-24 में 8,008 करोड़ रुपये हो गए हैं, यानी दोगुना बढ़ा है.
  • इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (स्टेशन्स) 2004-14 में 837 से बढ़कर 2014-24 में 2,964 हो गए हैं, यानी 3.5 गुना वृद्धि.
  • ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग 2004-14 में 1,486 किलोमीटर से बढ़ाकर 2014-24 में 2,497 किलोमीटर कर दिया गया है. यह 1.67 गुना बढ़ोतरी है.
  • फॉग पास सेफ्टी डिवाइस 31.03.14 को 90 से 31.03.24 को 19,742 हो गए हैं. यह 219 गुना उछाल है.
  • LHB कोच की विनिर्माण 2004-14 में 2,337 से बढ़कर 2014-24 में 36,933 हो गए हैं, यानी 15.8 गुना बढ़ गए हैं.
  • AC कोच में फायर और स्मोक डिटेक्शन सिस्टम के प्रावधान 2014 में 0 से बढ़कर 2024 में 19,271 हो गए हैं.
  • गैर-AC कोच में फायर एक्सटिंग्विशर के प्रावधान 2014 में 0 से बढ़कर 2024 में 66,840 हो गए हैं.

Tags: Central Railway, Indian Railways, Railways news

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