रतन टाटा को विरासत में मिली थीं कीमती बंदूकें, जानें किसे मिला मालिकाना हक

Ratan Tata: टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के निधन के बाद उनकी प्रॉपर्टी और वसीयत को लेकर काफी चर्चा रही. आखिरकार उनकी वसीयत का भी खुलासा हो गया. रतन टाटा की कुल संपत्ति 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की होने का अनुमान है. रतन टाटा ने अपनी वसीयत में संपत्ति का बंटवारा करने का जिम्मा अपनी सौतेली बहनों शिरीन और डायना जीजीभॉय, वकील दारायस खंबाटा और अपने करीबी दोस्त मेहली मिस्त्री को दिया था. 

रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा अपने परोपकारी फाउंडेशन और परिवार के सदस्यों को दे दिया.  हालांकि, उन्होंने अपनी तीन बेशकीमती संपत्ति – एक पिस्तौल, बंदूक और राइफल – का मालिकाना हक मेहली मिस्त्री को ट्रांसफर कर दिया. मेहली मिस्त्री लंबे समय से रतन टाटा के दोस्त और व्यापारिक विश्वासपात्र हैं.  

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एक हथियार मिला उपहार में
देश के सबसे पुराने बंदूक लाइसेंस धारकों में से एक होने के बावजूद, टाटा द्वारा इन हथियारों का इस्तेमाल शायद ही कभी किया गया हो. रतन टाटा को ये फायरआर्म्स (हथियार) करीबी लोगों से उपहार या वसीयत में मिले थे. माना जाता है कि उनमें से एक फायरआर्म्स सुमंत मुलगांवकर ने उन्हें उपहार में दिया था. 1988 में रतन टाटा के टाटा मोटर्स संभालने से पहले सुमंत मुलगांवकर उसके अध्यक्ष थे. वन्यजीव संरक्षण नियम लागू होने से पहले मुलगांवकर शिकार का आनंद लेते थे. 

दो मिले थे वसीयत में
इसके अलावा दो फायरआर्म्स रतन टाटा को विरासत में मिले थे, एक उनके पिता नवल टाटा से और दूसरा जेआरडी टाटा से, जो टाटा समूह के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे. ये हथियार इन तीन व्यक्तियों के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध के अधिक प्रतीक थे. सूत्रों ने कहा कि रतन टाटा ने अपनी वसीयत के जरिए अपना स्वामित्व अपने विश्वासपात्र और टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी मेहली मिस्त्री को हस्तांतरित कर दिया है.

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क्या है उसका कानूनी पक्ष
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार जे सागर एसोसिएट्स के पार्टनर ललित कुमार के अनुसार, “कानूनी रूप से प्राप्त फायरआर्म्स की वसीयत की जा सकती है, लेकिन लाभार्थी के पास उन्हें रखने और उपयोग करने का लाइसेंस होना चाहिए.” रतन टाटा के हाल ही में निधन के बाद, उनके हथियारों को पुलिस शस्त्रागार में सौंप दिया गया था. इन हथियारों को पुनः प्राप्त करने के लिए मेहली मिस्त्री को आत्मरक्षा, खेल गतिविधियों, या सजावटी उद्देश्यों के लिए उनके उपयोग का हवाला देते हुए लाइसेंस प्राप्त करना होगा. सूत्रों ने कहा कि अगर उनके पास कोई हथियार है तो वह इन फायरआर्म्स को अपने मौजूदा लाइसेंस के तहत पंजीकृत भी कर सकता है. फायरआर्म्स  स्वामित्व के संबंध में भारत में नियम सख्त हो गए हैं, जिससे प्रति व्यक्ति लाइसेंस प्राप्त हथियारों की संख्या सीमित हो गई है.

अलीबाग का बंगला भी दिया
एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसा अनुमान है कि मेहली मिस्त्री संभवतः सजावटी श्रेणी का चयन करेंगे. यदि वह ऐसा करते हैं, तो पुलिस फायरिंग पिनों को निष्क्रिय कर देगी, जिससे हथियार गोला-बारूद छोड़ने में असमर्थ हो जाएंगे. फायरआर्म्स के अलावा, अलीबाग में रतन टाटा की समुद्र तट की संपत्ति भी मेहली मिस्त्री को दे दी गई है. रतन टाटा और मेहली मिस्त्री  का जुड़ाव दशकों पुराना है. उस जमाने से जब वे मुंबई के कोलाबा में स्थित एक आवासीय इमारत बख्तावर में रहते थे. 2012 में टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद, रतन टाटा बाद में कोलाबा में ही तीन मंजिला आवास, हलेकाई में शिफ्ट हो गए थे.

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कौन हैं मेहली मिस्त्री
मेहली मिस्त्री, अपने भाई फिरोज के साथ एम पालोनजी समूह का मैनेजमेंट संभालते हैं. मेहली मिस्त्री का नाम तब सुर्खियों में आया था, जब रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच कानूनी विवाद हो गया था. 2016 में टाटा समूह के अध्यक्ष पद से हटाए गए साइरस ने दावा किया कि रतन टाटा के साथ मेहली के संबंधों के कारण एम पालोनजी समूह को तरजीह मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. इस अवधि के दौरान साइरस के चचेरे भाई मेहली मिस्त्री ने अंततः एनर्जी कंपनी से बाहर निकलने से पहले रतन टाटा के रुख के समर्थन में टाटा पावर के 235 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे. अक्टूबर 2022 में मेहली मिस्त्री 165 बिलियन डॉलर के टाटा समूह को नियंत्रित करने वाले परोपकारी संगठन टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड में शामिल हो गए.

Tags: Ratan tata, Tata Motors, Tata steel

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