सच में! इंसानी दिमाग को कंट्रोल करेगी ये टेक्नोलॉजी? जानिए कैसे करती है काम

Magnetogenetics Technology : सालों से वेज्ञानिक इंसानी दिमाग को समझने और उसे कंट्रोल करने के लिए कई टेस्ट कर चुकें हैं. लेकिन अभी कर उनको इसमें सफलता नहीं मिली है. आप लोगों ने फिल्मों में देखा होगा कि कैसे भारी-भरकम मशीनों से इंसानों के ऊपर टेस्ट किए जाते हैं, जिससे दिमाग कैसे फंक्शन करता है ये जाना जा सकें. फिलहाल वैज्ञानिकों ने एक कई दशकों के बाद एक नई टेक्नोलॉजी विकसित की हैं. इसमें वैज्ञानिक इंसानी दिमाग को समझने के लिए मैग्नेट्स यानी चुंबकों का यूज करेंगे. इससे पहले तक इलेक्ट्रिसिटी का यूज किया जा रहा था. 

क्या इंसानी दिमाग को कंट्रोल कर पाएगी ये टेक्नोलॉजी?

इस टेक्नोलॉजी से पहले भी कई योजनाओं पर वैज्ञानिक काम कर चुके हैं. लेकिन या तो वो योजनाएं असफल रहीं या तो उन योजनाओं से वैज्ञानिकों के मन मुताबिक रिजल्ट नहीं मिल पाया हैं. इस टेक्नोलॉजी को लेकर भी कहा जा रहा है कि ये फिलहाल के लिए जानवरों के दिमाग को तो कंट्रोल कर ले रहे हैं.  लेकिन इंसानों पर इसका असर नहीं हो रहा है.  

 

कैसे काम करती है ये मैग्नेटोजेनेटिक्स टेक्नोलॉजी

वैज्ञानिकों के मुताबिक ये टेक्नोलॉजी दिमाग में मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल्स और क्लोज रेंज वाली मैग्नेटिक फील्ड्स पर निर्भर करती है. इस नई टेक्नोलॉजी के काम करने का तरीका भी बाकि टेक्नोलॉजी से अनोखा है. इसमें एक मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल के साथ पिएजो (ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ प्रेशर) नाम का एक मेकेनिकोसेंसिटिव प्रोटीन होता है. इस नैनोपार्टिकल का आकार 200 नैनोमीटर यानी 0.0002 मिलीमीटर होता है. जब रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल को मूव कराती है. तो इससे टॉर्क जेनरेट होता है.  

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इस टेक्नोलॉजी का यूज चूहे पर किया गया, जिसमें ये सामने निकल कर आया कि चूहे उतना ही खा रहे थे जितना कि वैज्ञानिक चाहते थे. इस टेक्नोलॉजी की मदद से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स के लिए नए ट्रीटमेंट भी डेवलप किए जा सकेंगे.  

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