नई दिल्ली. अगर आप शेयर मार्केट के जरिए फटाफट कमाई का सपना देख रहे हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है. दरअसल, शेयर मार्केट को रेगुलेट करने वाली संस्था सेबी (SEBI) ने कैश सेगमेंट के ट्रेडर्स पर बुधवार को यह स्टडी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कई ऐसे खुलासे हुए हैं जिनकी निवेशकों को बिलकुल उम्मीद नहीं थी. रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग (F&O Trading) में ही नहीं, इंट्राडे ट्रेडिंग करने वालों को भी नुकसान हो रहा है.
सेबी के एक स्टडी से पता चला है कि इक्विटी कैश सेगमेंट में 10 में से 7 इंडिविजुअल इंट्राडे ट्रेडर्स को वित्त वर्ष 2022-23 में घाटा उठाना पड़ा था. इसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 2022-23 के दौरान इक्विटी कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले लोगों की संख्या 300 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई. बता दें कि इक्विटी बाजार में शेयर की खरीद और बिक्री एक ही ट्रेडिंग सेशन में पूरी करने को ‘इंट्राडे’ ट्रेडिंग कहा जाता है.
इंट्राडे ट्रेडिंग में युवाओं की हिस्सेदारी बढ़ी
इस स्टडी का एक दिलचस्प पहलू यह है कि प्रॉफिट में रहने वाले ट्रेडर्स की तुलना में घाटे में चलने वालों ने औसतन कहीं ज्यादा संख्या में ट्रेड किए. इसके अलावा 30 साल से कम आयु के युवा इंट्राडे कारोबारियों की हिस्सेदारी इस अवधि में काफी बढ़ गई. सेबी स्टडी में कोविड महामारी से पहले और बाद के ट्रेंड्स का तुलनात्मक विश्लेषण करने के लिए वित्त वर्ष 2018-19, वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 की पीरियड को लिया गया.
देश के टॉप-10 ब्रोकर्स के इंडिविजुअल क्लाइंट्स स्टडी में शामिल
वित्त वर्ष 2022-23 में इक्विटी कैश सेगमेंट में इंडिविजुअल क्लाइंट्स की संख्या का लगभग 86 फीसदी हिस्सा रखने वाली टॉप-10 ब्रोकिंग फर्मों के इंडिविजुअल क्लाइंट्स के सैंपल पर यह स्टडी किया गया है. सेबी ने अपने स्टडी में पाया कि इक्विटी कैश सेगमेंट में कारोबार करने वाले हर 3 में से एक आदमी इंट्राडे ट्रेड करता है. इसके अलावा, 30 साल से कम आयु के युवा इंट्राडे ट्रेडर्स की हिस्सेदारी 2022-23 में बढ़कर 48 फीसदी हो गई जबकि 2018-19 में यह 18 फीसदी था.
इक्विटी कैश सेगमेंट में हर 10 में से 7 इंडिविजुअल इंट्राडे ट्रेडर्स को हुआ घाटा
स्टडी के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में इक्विटी नकदी खंड में 10 में से 7 इंडिविजुअल इंट्राडे ट्रेडर्स यानी 71 फीसदी को शुद्ध घाटा उठाना पड़ा. इसके अलावा बहुत बार (एक साल में 500 से ज्यादा ट्रेड) ट्रेडिंग करने वाले कारोबारियों में से 80 फीसदी घाटे में रहे. इन ट्रेडर्स ने अपने कारोबारी घाटे का अतिरिक्त 57 फीसदी ट्रेडिंग कॉस्ट के रूप में खर्च किया जबकि लाभ कमाने वालों ने अपने ट्रेडिंग मुनाफे का 19 फीसदी ट्रेडिंग कॉस्ट के रूप में खर्च किया. इसके अलावा, अन्य एज ग्रुप की तुलना में 2022-23 के दौरान युवा ट्रेडर्स के बीच घाटे में रहने वालों का फीसदी 76 फीसदी था.
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 23:04 IST