नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों से एफएमसीजी कंपनियों जैसे डाबर, टाटा कंज्यूमर, नेस्ले और ब्रिटानिया समेत कई कंपनियों के शेयरों पर दबाव देखने को मिल रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण डिमांड में कमी बताया जा रहा है. लेकिन, यह कमी क्यों आई इसका पता अब चला है. दरअसल महंगाई के दबाव के बीच बढ़ती मंदी से इस साल अगस्त-अक्टूबर में दैनिक उपभोग की वस्तुओं के (FMCG) सेक्टर की मात्रा वृद्धि सालाना आधार पर 6.4 प्रतिशत से घटकर 4.3 प्रतिशत रह गई है. यह डाटा इन कंपनियों के लिए बेहद नकारात्मक है. रिसर्च कंपनी कांतार ने अपनी लेटेस्ट ‘एफएमसीजी पल्स’ रिपोर्ट में कहा, इसके अलावा मई-जुलाई की अवधि में एफएमसीजी मात्रा की वृद्धि भी क्रमिक रूप से कम 4.5 प्रतिशत रही.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ हम आखिरी तिमाही में हैं और अक्टूबर को समाप्त तिमाही तक एफएमसीजी की वृद्धि 4.3 प्रतिशत रही, पिछले वर्ष समान अवधि में वृद्धि 6.4 प्रतिशत रही थी. हालांकि मई-जुलाई की तिमाही की तुलना में इसमें मामूली बढ़त दर्ज की गई जब वृद्धि 4.5 प्रतिशत रही थी.’’
एफएमसीजी इंडेक्स में तेज गिरावट
महंगाई के बारे में रिपोर्ट में कहा गया, 2022 की अगस्त-अक्टूबर अवधि में पहली बार प्रति परिवार औसत तिमाही खर्च 6,000 रुपये को पार कर गया था और तब से दो साल बाद खर्च में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2024 में इस तिमाही में यह 6,761 रुपये रहा. ग्रामीण बाजार के बारे में कांतार ने कहा, यह भी चार प्रतिशत की वृद्धि के साथ ‘‘ कमजोर प्रदर्शन ’’ कर रहा है, जो अगस्त-अक्टूबर की अवधि में शहरी बाजार की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि से भी कम है.
बता दें कि शेयर बाजार में एफएमसीजी इंडेक्स में पिछले 3 महीनों में काफी गिरावट देखने को मिली है. एफएमसीजी शेयरों का यह सूचकांक 66000 के उच्च स्तर से गिरकर 56000 के लेवल तक आ गया है. इस दौरान डाबर, आईटीसी, टाटा कंज्यूमर और हिंदुस्तान यूनीलिवर समेत कई कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है.
(भाषा से इनपुट के साथ)
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FIRST PUBLISHED : December 24, 2024, 14:21 IST