IPO मिलते ही बेचने वाले छोटे निवेशक तो यूं ही बदनाम, असली गेम तो करते हैं बड़े वाले

हाइलाइट्स

सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा.54 प्रतिशत निवेशक लिस्टिंग के एक हफ्ते के अंदर ही बेच देते हैं शेयर.बेचने वालों में सबसे ज्यादा अधिकतर बड़े बैंक और संस्थागत निवेशक.

IPO selling behavior : जब भी किसी कंपनी का IPO लॉन्च होता है, सभी की नजरें शेयर मार्केट पर टिकी होती हैं. हर निवेशक की यही सोच होती है कि कब स्टॉक लिस्ट होगा और कब वह मुनाफा कमा सकेगा. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो छोटी रकम लगाने वाले निवेशक होते हैं, उन्हें ही हमेशा जल्दी बेचने का दोष क्यों दिया जाता है? सच तो ये है कि असली खेल तो बड़ा पैसा लगाने वाले बड़े खिलाड़ियों का होता है. चलिए जानते हैं कि असल में IPO के खेल में कौन सबसे ज्यादा फायदा उठाता है और कौन जल्दी एग्जिट लेता है.

हाल ही में सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि IPO में निवेश करने वाले 54 प्रतिशत निवेशक लिस्टिंग के एक हफ्ते के अंदर ही अपना निवेश बेचकर निकल जाते हैं. पर यहां चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकतर बड़े बैंक और संस्थागत निवेशक होते हैं, जो IPO के बाद तेजी से एग्जिट लेते हैं.

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सेबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 79.8 प्रतिशत बड़े बैंक पहले हफ्ते में ही एग्जिट कर लेते हैं, जबकि आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि छोटे और मिड-साइज निवेशक ही जल्दी में होते हैं और अपने स्टॉक बेचकर भाग जाते हैं.

छोटे और बड़े निवेशकों का बिहेवियर
छोटे निवेशकों की बात करें तो 50.2 प्रतिशत इंडिविजुअल निवेशक पहले हफ्ते में ही अपने शेयर बेच देते हैं. वहीं 42.7 प्रतिशत रिटेल निवेशक (सबसे छोटे निवेशक) पहले हफ्ते में एग्जिट ले लेते हैं. यह आंकड़े बताते हैं कि IPO के खेल में केवल छोटे निवेशक ही नहीं, बल्कि बड़े निवेशक भी तेजी से अपने शेयर बेचते हैं. 63.3 प्रतिशत नॉन-इंस्टीट्यूशनल निवेशक (NIIs) निवेशक हफ्तेभर में अपने शेयर बेच देते हैं.

म्यूचुअल फंड्स का मामला अलग
हालांकि, IPO में सबसे ज्यादा धैर्य रखने वाले म्यूचुअल फंड हाउस होते हैं. केवल 3.3 प्रतिशत म्यूचुअल फंड्स ही पहले सप्ताह में एग्जिट करते हैं. इसका कारण यह है कि म्यूचुअल फंड्स का मुख्य उद्देश्य लंबी अवधि के लिए निवेश करना होता है, जिससे उनके निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिल सकें. हालांकि आम लोग ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पाते क्योंकि उनके पास MF हाउस के लेवल की रिसर्च नहीं होती और उसका व्यू बहुत स्पष्ट नहीं हो पाता.

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बड़े बैंक और संस्थागत निवेशक IPO में भागीदारी तो लेते हैं, लेकिन उनकी रणनीति स्पष्ट होती है- जल्दी मुनाफा कमाना. IPO में उनके निवेश का उद्देश्य शेयर लिस्टिंग के पहले कुछ दिनों में अच्छा मुनाफा कमाना होता है, और उसके बाद वे एग्जिट कर जाते हैं. तगड़ी रिसर्च के आधार पर ये लोग केवल वही आईपीओ अप्लाई करते हैं, जिसमें पैसा बनने की संभावनाएं अधिक होती हैं.

Tags: Investment tips, IPO, Share market

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