नई दिल्ली. म्यूचुअल फंड के प्रति खुदरा निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है. जुलाई के आंकड़ों से यह बात साफ जाहिर होती है. AMFI की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर 5 रुपये के एसेट में 3 रुपये खुदरा या व्यक्तिगत निवेशकों के हैं. वहीं 2 रुपये का एसेट संस्थापक निवेशकों के पास है. यह भी उल्लेखनीय है कि म्यूचुअल फंड उद्योग द्वारा प्रबंधित कुल एसेट जुलाई 2023 में 46.28 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर जुलाई 2024 में 64.71 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. यह 39.83 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
म्यूचुअल फंड के माध्यम से वित्तीय बाजारों में पैसा लगाने के लिए खुदरा निवेशकों की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण अब संस्थागत इन्वेस्टर्स की तुलना में व्यक्तिगत निवेशकों के पास अधिक एसेट हैं. एएमएफआई के रुझानों से पता चलता है कि व्यक्तिगत निवेशकों के पास अब इंडस्ट्री एसेट में 61 फीसदी हिस्सेदारी है. जबकि जुलाई 2023 में यह 57.5 फीसदी थी. वहीं, संस्थागत निवेशकों के पास परिसंपत्तियों का 39 प्रतिशत हिस्सा है, जिसमें से निगमों का हिस्सा 95 प्रतिशत है. बाकी भारतीय और विदेशी संस्थान और बैंक है. घरेलू खुदरा निवेशकों के पास अधिक संपत्ति होने की वजह से ही भारतीय बाजार पर विदेशी हलचल बहुत प्रभाव नहीं डाल पा रही है.
व्यक्तिगत निवेशक हावी
एक और डाटा पॉइंट, जो व्यक्तिगत निवेशकों का म्यूचुअल फंड की ओर झुकाव दर्शाता है, वह यह है कि 88 प्रतिशत म्यूचुअल फंड एसेट व्यक्तिगत निवेशकों (खुदरा और हाई एसेट वैल्यू वाले व्यक्ति) से आती हैं. वहीं, संस्थागत निवेशक लिक्विड और मनी मार्केट स्कीम (88 प्रतिशत), डेट-ओरिएंटेड स्कीम (63 प्रतिशत) और ईटीएफ, एफओएफ (90 प्रतिशत) पर हावी हैं.
यह देखा गया है कि व्यक्तिगत निवेशक अपना बड़ा हिस्सा इक्विटी एसेट में रखते हैं. व्यक्तिगत निवेशक एसेट का 86 प्रतिशत इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम में, 9 प्रतिशत डेट स्कीम में, 3 प्रतिशत मनी मार्केट स्कीम में और केवल 2 प्रतिशत ईटीएफ/फंड ऑफ फंड में रखा जाता है. इस बीच इंस्टीट्यूशन एसेट का 53 प्रतिशत हिस्सा लिक्विड/मनी मार्केट योजनाओं और डेट रिलेटेड स्कीम्स में, 29 प्रतिशत ईटीएफ/एफओएफ में और केवल 18 प्रतिशत इक्विटी संबंधी योजनाओं में रखा गया है.
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FIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 19:59 IST