निवेशकों की आंख में धूल झोंककर IPO ला रही थी कंपनी, SEBI ने पकड़े कान तो मार लिया यूटर्न

मुंबई. 18 नवंबर को अब तक का सबसे बड़ा एसएमई आईपीओ लाने की घोषणा करने वाली रोसमारटा डिजिटल सर्विसेज लिमिटेड (Rosmerta Digital Services Ltd) ने आईपीओ को वापस ले लिया है. कंपनी इससे 206 करोड़ रुपये जुटाने वाली थी. कंपनी की ओर से गुरुवार को जारी एक विज्ञापन के अनुसार आईपीओ को स्थगित कर दिया गया है. गुरुवार को एंकर निवेशकों के लिए इश्यू खुलने वाला था.

कंपनी ने विज्ञापन में कहा “कृपया ध्यान दें कि आईपीओ जो मूल रूप से 18 नवंबर, 2024 को खुलने और 21 नवंबर, 2024 को बंद होने वाला था, स्थगित कर दिया गया है. बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (BRLM) के साथ सलाह के बाद मौजूदा विपरीत बाजार स्थिति को देखते हुए आईपीओ को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है. कंपनी उचित समय पर संशोधित कार्यक्रम की घोषणा करेगी.

आरोपों के बाद सेबी ने लिया एक्शन
सूत्रों के मुताबिक, ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) में जानकारी की कमी और प्रमोटर्स के करीबी रिश्तेदारों द्वारा बाजार में हेरफेर की कथित संलिप्तता के आरोप में विभिन्न शिकायतें प्राप्त होने के बाद मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने कंपनी को इस इश्यू को वापस लेने के लिए मजबूर किया था.

140 रुपये से 147 रुपये का प्राइस बैंड किया था तय
बीआरएलएम नोर्नोलिया फाइनेंशियल सर्विसेज, बीलाइन कैपिटल एडवाइजर्स हैं. समझा जाता है कि सेबी ने मर्चेंट बैंकरों को जरूरी कदम उठाने की ‘सलाह’ दी है. तीन साल पुरानी कंपनी ने 2 रुपये के अंकित मूल्य के साथ प्रति शेयर 140 रुपये से 147 रुपये का प्राइस बैंड भी तय किया था.

कंपनी के खिलाफ शिकायत पहुंची थी सेबी और वित्त मंत्रालय के पास
सेबी, वित्त मंत्रालय और अन्य अधिकारियों को रोसमारटा डिजिटल सर्विसेज के प्रमोटरों के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं, जिनमें प्रमोटरों कार्तिक विवेक नागपाल, करण विवेक नागपाल और रोसमारटा टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और ट्रस्ट प्रमोटर प्रतिनिधि आरती नागपाल और अन्य अज्ञात व्यक्तियों पर इसका सहारा लेने और इसमें शामिल होने का आरोप लगाया गया था. कंपनी के डीआरएचपी दाखिल करते समय महत्वपूर्ण तथ्यों को जानबूझकर छिपाकर और गलत वित्तीय डेटा पेश करके धोखाधड़ी की गई थी.

मनी लॉन्ड्रिंग समेत कई आरोप
कंपनी पर क्रमशः विवेक नागपाल, उनके पिता (प्रमोटरों के) और पति (डीआरएचपी में आरडीएसएल के ट्रस्ट प्रमोटर श्रीमती आरती नागपाल) का मुखौटा होने का आरोप लगाया गया था, जो कथित तौर पर कैपिटल मार्केट में हेरफेर, अंदरूनी व्यापार और मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य में शामिल थे.

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