नई दिल्ली. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड कंपनियों (एमएफ) को उन विदेशी म्यूचुअल फंड या यूनिट ट्रस्ट में निवेश की सोमवार को अनुमति दे दी जो अपनी संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं. यह छूट इस शर्त पर दी गई है कि ऐसे विदेशी कोषों का भारतीय प्रतिभूतियों में कुल निवेश उनकी शुद्ध संपत्ति के 25 फीसदी से अधिक न हो.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने एक परिपत्र में कहा कि इस कदम का उद्देश्य विदेशी एमएफ/यूनिट ट्रस्ट में निवेश को सरल बनाना, निवेश के तरीके में पारदर्शिता लाना और एमएफ को अपने विदेशी निवेश में विविधता लाने में सक्षम बनाना है. सेबी ने कहा कि नया ढांचा तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा.
माननी होगी यह शर्त
परिपत्र के मुताबिक, म्यूचुअल फंड योजनाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि विदेशी एमएफ/ यूनिट ट्रस्ट में सभी निवेशकों के अंशदान को किसी सहयोगी इकाई के बगैर एकल निवेश साधन में ही शामिल कर दिया जाए. विदेशी एमएफ/ यूनिट ट्रस्ट का कोष इस तरह का होना चाहिए जिसमें कोई अलग-अलग पोर्टफोलियो न हों ताकि यह सुनिश्चित हो कि सभी निवेशकों के पास फंड में समान और आनुपातिक अधिकार हों.
इस बात का रखना होगा ध्यान
बाजार नियामक ने हितों के टकराव को रोकने के लिए भारतीय म्यूचुअल फंड और अंतर्निहित विदेशी म्यूचुअल फंड के बीच सलाहकार समझौतों पर रोक लगा दी है. सेबी ने अपने परिपत्र में कहा, ‘‘भारतीय म्यूचुअल फंड योजनाएं उन विदेशी एमएफ/ यूनिट ट्रस्ट में भी निवेश कर सकती हैं जिनका भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश है. इसके लिए शर्त बस यह है कि इन विदेशी एमएफ/यूनिट ट्रस्ट का भारतीय प्रतिभूतियों में कुल निवेश उनकी परिसंपत्तियों के 25 फीसदी से अधिक न हो.’’ अगर निवेश के बाद इस सीमा का उल्लंघन होता है, तो 6 महीने की भीतर विदेशी फंड से पोर्टफोलियो में संतुलन बनाने का समय दिया जाएगा, लेकिन इस दौरान उसमें कोई नया निवेश नहीं किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 07:08 IST