नई दिल्ली. अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. स्टॉक मार्केट रेगुलेटर SEBI ने शेयर बाजार में कामकाज को और आसान करने के लिए कैश कॉलेटरल के जरिए शेयरों में मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी के लिए मेंटनेंस मार्जिन के रूप में विचार करने की अनुमति दी है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा से जुड़े नियमों में ढील देने का फैसला इंडस्ट्री स्टैंडर्ड फोरम के सहभागियों से परामर्श के बाद लिया है. शेयर बाजार में पिछले कुछ सालों में मार्जिन ट्रेडिंग पर सेबी ने बड़े फैसले लिए हैं. नियामक ने इंट्रा-डे ट्रेडिंग में मार्जिन की रकम को लगातार घटाया है.
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SEBI ने सर्कुलर में क्या कहा?
सेबी की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि ब्रोकर्स के पास कॉलेटरल के रूप में जमा किए गए स्टॉक या इक्विटी एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की इकाइयां और मार्जिन ट्रेडिंग का उपयोग करके खरीदे गए शेयरों को अलग रखा जाना चाहिए. फंडिंग अमाउंट के कैलकुलेशन के लिए इन दोनों का मिश्रण नहीं होना चाहिए.
“अगर ब्रोकर ने मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा का लाभ उठाने के लिए मार्जिन के रूप में ग्राहक से कैश कॉलेटरल लिया है और ट्रेडिंग मेंबर ने ग्राहक के सेटलमेंट के लिए क्लियरिंग कॉरपोरेशन (सीसी) को उक्त कैश कॉलेटरल दिया है, तो इसे मेंटनेंस मार्जिन के तौर पर माना जाएगा.
क्या होती है मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी
मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी में निवेशक कम पैसों में ज्यादा शेयर खरीद सकता है. इस सुविधा में ब्रोकर्स की ओर से 4 गुना तक रकम उधार मिल जाती है. अगर आपके पास 50,000 है और आप इससे ज्यादा रकम के शेयर खरीदना चाहते हैं तो एमटीएफ की सुविधा के माध्यम से 4 गुना फंड ब्रोकर से उधार ले सकते हैं. हालांकि, शेष रकम पर ब्रोकर ब्याज वसूलता है.
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FIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 08:11 IST