लागू हो गए F&O ट्रेडिंग के नए नियम, अब कितना मुश्किल होगा ऑप्शन खरीदना-बेचना

मुंबई. शेयर बाजार में 20 नवंबर से फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग के नए नियम लागू हो गए हैं. चूंकि, आज मुंबई में इलेक्शन वोटिंग के चलते मार्केट बंद है इसलिए यह नियम कल (21 नवंबर) से लागू होंगे. F&O ट्रेडिंग में बढ़ते जोखिम पर नियंत्रण के लिए बाजार नियामक सेबी ने यह नियम लेकर आया है ताकि रिटेल इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा की जा सके. इक्विटी एफएंडओ सेगमेंट को मजबूत करने के लिए 6 अहम बदलाव किए गए हैं. आइये आपको बताते हैं आखिर कल से फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग कितनी बदल जाएगी.

कम होंगी वीकली एक्सपायरी

सेबी ने इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट के लिए वीकली एक्सपायरी की संख्या को घटाकर एक इंडेक्स, एक एक्सपायरी कर दिया है. ऐसे में अब सिर्फ निफ्टी और सेंसेक्स की वीकली एक्सपायरी होगी. बैंक निफ्टी एक्सपायरी बंद हो चुकी है.

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कॉन्ट्रेक्ट साइज में बढ़ोतरी

डेरिवेटिव मार्केट में ऑप्शन सेलिंग करने वालों के लिए न्यूनतम ट्रेडिंग रकम मौजूदा 5-10 लाख रुपये से बढ़कर 15 लाख रुपये हो जाएगी. इस बढ़ोतरी से यह सुनिश्चित करना है कि निवेशक डेरिवेटिव बाजार में भाग लेते समय उचित जोखिम उठाएं.

एक्सट्रिम लॉस मार्जिन

टेल-रिस्क कवरेज बढ़ाने के लिए, सेबी एक्सपायरी के दिन सभी ओपन शॉर्ट ऑप्शन के लिए 2 प्रतिशत का अतिरिक्त एक्सट्रिम लॉस मार्जिन (ELM) लागू करेगा. इस उपाय का उद्देश्य निवेशकों को अत्यधिक बाजार में उतार-चढ़ाव से बचाना है.

अपफ्रंट कलेक्शन ऑफ प्रीमियम

हालांकि, यह नियम 1 फरवरी, 2025 से प्रभावी होगा. इसमें ब्रोकर्स को ऑप्शन प्रीमियम एडवांस रूप में कलेक्ट करने की आवश्यकता होगी. इस बदलाव का उद्देश्य निवेशकों के बीच अत्यधिक इंट्राडे लेने वालो को हतोत्साहित करना ताकि उनके पास अपनी पॉजिशन को कवर करने के लिए पर्याप्त कॉलेटरल हो.

खत्म होगी कैलेंडर स्प्रेड की सुविधा

कैलेंडर स्प्रेड की लंबे समय से चली आ रही परपंरा- अलग-अलग एक्सपायरी पर पॉजिशन को ऑफसेट करना- एक ही दिन समाप्त होने वाले कॉन्ट्रेक्ट के लिए समाप्त कर दी जाएगी. इस बदलाव का उद्देश्य एक्सपायरी के दिन में बड़े पैमाने पर होने वाले सट्टा व्यापार की संभावना को कम करना है.

अगले साल 1 अप्रैल से, स्टॉक एक्सचेंज इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए पॉजिशन लिमिट की इंट्राडे निगरानी शुरू करेंगे. इसका मतलब यह है कि पूरे कारोबारी दिन में पॉजिशन लिमिट की कई बार जांच की जाएगी, जिससे ट्रेडर्स का रिस्क कम हो जाएगा.

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