नई दिल्ली. शेयर बाजार में धांधली रोकने और पारदर्शी व्यवस्था बनाए रखने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी समय-समय पर जरूरी गाइडलाइंस जारी करती है. इसी कड़ी में सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इक्विटी कैश मार्केट में शेयरों के बंद भाव को तय करने के लिए देश में क्लोज ऑक्शन सेशन (CAS) मसौदा शुरू करने का प्रस्ताव रखा है. फिलहाल, भारत में शेयरों के बंद भाव को कारोबारी दिन के आखिरी 30 मिनट के कारोबार की मात्रा आधारित औसत मूल्य (वीडब्ल्यूएपी) का इस्तेमाल करके तय किया जाता है. यह व्यवस्था एक उचित बाजार बंद मूल्य तय करने की सुविधा देती है, लेकिन इससे सटीक बंद मूल्य पर कारोबार नहीं किया जा सकता है. सीएएस की शुरूआत से बाजार बंद होने के दौरान विशेष रूप से सूचकांक पुनर्संतुलन और वायदा-विकल्प निपटान के दिनों में मूल्य अस्थिरता कम होगी. ऐसे में बंद मूल्य पर बड़े ऑर्डर बेहतर ढंग से किए जा सकेंगे.
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सेबी ने मांगी लोगों की राय
नियामक ने सुझाव दिया कि सीएएस को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए. सेबी ने प्रस्तावों पर 26 दिसंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं. इससे पहले अगस्त में भी सेबी ने एक सर्कुलर जारी किया था, जो बाजार में गिरावट की एक बड़ी वजह बना. दरअसल SEBI ने इस सर्कुलर का उद्देश्य भारतीय कंपनियों द्वारा मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) के नियमों का उल्लंघन रोकना था. MPS का मतलब है कि किसी सूचीबद्ध कंपनी में कम से कम 25 फीसदी शेयर पब्लिक के पास होने चाहिए.
इसके तहत, 50 फीसदी से अधिक भारतीय इक्विटी में निवेश रखने वाले या 25,000 करोड़ रुपये (लगभग 3 बिलियन डॉलर) से अधिक असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को 9 सितंबर 2024 तक अपनी हिस्सेदारी का पूरा ब्यौरा देना था. जो FPIs इन मानकों का पालन नहीं कर सके, उन्हें अपनी हिस्सेदारी बेचकर बाजार से बाहर निकलने का निर्देश दिया गया.
(भाषा से इनपुट के साथ)
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FIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 08:06 IST