नई दिल्ली. देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनियों में से एक स्पाईसजेट ने करीब 2.5 साल से अपने किसी भी कर्मचारी का पीएफ नहीं जमा किया है. यह जानकारी ईपीएफओ ने एक आरटीआई के जवाब में सीएनबीसी-टीवी18 को दी है. कंपनी ने 2022 से ही ईपीएफओ में योगदान बंद कर दिया है. इस संबंध में ईपीएफओ की ओर से कई बार नोटिस और समन कंपनी को भेजे गए हैं. आखिरी बार जब कंपनी जनवरी 2022 में 11,581 कर्मचारियों का पीएफ जमा किया था.
हालांकि, फरवरी 2024 में जब कंपनी द्वारा छंटनी की खबरें आई तब इसके कर्मचारियों की संख्या 9000 बताई गई थी. उस समय कंपनी द्वारा 1400 कर्मचारियों की छंटनी की खबरे थीं. स्पाईसजेट ने अभी तक पीएफ नहीं जमा करने की खबरों का न तो खंडन किया है और न ही कोई सफाई दी है. बता दें कि इसी साल जनवरी में कंपनी ने कथित तौर पर कर्मचारियों की सैलरी रोक दी थी.
संकटों से घिरी एयरलाइन
कंपनी को विमान लीज पर देने वाली कई कंपनियों द्वारा दायर मुकदमे भी झेलने पड़ रहे हैं. ये कंपनियां स्पाइसजेट को लीज पर दिए गए प्लेन्स की मियाद नहीं बढ़ाना चाहती हैं. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 18 अप्रैल को कंपनी को 3 अलग दिवालिया याचिका में नोटिस जारी किया था. नोटिस के अनुसार, कंपनी 77 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर पाई है. मई में कलानिधि मारन और काल एयरवेज ने कंपनी से उन्हें हुई क्षति की भरपाई के लिए 1323 करोड़ रुपये की मांग की थी.
दरअसल, 2015 में कलानिधि मारन और उनकी कंपनी केएएल ने अपनी 58 फीसदी हिस्सेदारी स्पाइसजेट के प्रमुख अजय सिंह को हस्तांतरित की थी. अजय सिंह ने इसी के साथ कंपनी पर 1500 करोड़ की देनदारी भी अपने ऊपर ले ली थी. अजय सिंह स्पाइसजेट के को-फाउंड हैं. इस सौदे में मारन और केएएल को प्रेफेरेंस स्टॉक व वॉरंट दिए जाने थे जिसके बदले उन्होंने स्पाइसजेट को 679 करोड़ रुपये दिए थे. अब मारन आरोप लगा रहे हैं कि कंपनी की ओर से उन्हें कोई शेयर या वारंट अलॉट नहीं हुए.
क्या है पीएफ?
इम्पलॉई प्रोविडेंट फंड की मदद से कोई कर्मचारी अपने भविष्य के लिए धन एकत्रित करता है. इसमें कंपनी और कर्मचारी बराबर का योगदान करते हैं. इसी फंड से कर्मचारी की रिटायरमेंट निधि तैयार होती है. इस निधि का एक हिस्सा एकसाथ बाहर निकाला जा सकता है जबकि एक हिस्से को पेंशन प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : July 8, 2024, 18:26 IST