रिटायर्ड फौजी ने रखी नींव, दामाद ने पहुंचाया बुलंदी पर, आज है 2 लाख करोड़ रुपये की कंपनी

नई दिल्ली. डीएलएफ (दिल्ली लैंड एंड फाइनेंस) की स्थापना 1946 में चौधरी राघवेंद्र सिंह द्वारा की गई थी. कंपनी ने अपनी शुरुआत दिल्ली में 22 शहरी कॉलोनियों को विकसित करके की थी. दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक और भारतीय सेना में मेजर रहे चौधरी साहब ने स्वतंत्रता-पूर्व आजादी से पहले के भारत में अपना बिजनेस स्थापित किया. चौधरी राघवेंद्र आर्मी से उद्योग जगत में आए और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का शहरी परिदृश्य बदल गया. उनके प्रयासों से विभाजन से विस्थापित होकर राजधानी में बसे लाखों परिवारों को घर मिले.

1985 में डीएलएफ ने गुरुग्राम को तब विकसित करने की ठानी जब यह जगह बिलकुल अज्ञात थी. डीएलएफ ने गुरुग्राम को नए भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए रहने और काम करने की असाधारण जगह के रूप में विकसित किया. आज, डीएलएफ भारत में सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी है. इसकी उपस्थिति 15 राज्यों और 24 शहरों में है. इसके पास रेजिडेंशियल, कमर्शियल और रिटेल प्रॉपर्टीज हैं.

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केपी सिंह के हाथ में आई कमान
डीएलएफ को शिखर तक पहुंचाने में सबसे बड़ा योगदान राघवेंद्र सिंह के दामाद कुशल पाल सिह (केपी सिंह) का रहा है. वह भी सेना में कार्यरत थे और 1961 रिटायर होकर डीएलएफ से जुड़े. उन्हीं की अगुआई में डीएलएफ ने तब के गुड़गांव और आज के गुरुग्राम में अपना विस्तार शुरू किया. कुशल पाल सिंह एक मशहूर वकली चौधरी मुख्तार सिंह के बेटे थे. उन्होंने इंग्लैंड से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की थी. उनका सेलेक्शन वहीं ब्रिटिश ऑफिसर सर्विस सिलेक्शन बोर्ड के माध्यम से आर्मी में हो गया था. 1961 में डीएलएफ से जुड़ने वाले केपी सिंह 1969 में इस कंपनी के एमडी बन गए. उनके नेतृत्व में डीएलएफ ने खूब तरक्की की. 2020 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

मौजूदा नेतृत्व
अभी यह कंपनी केपी सिंह के बेटे राजीव सिंह के हाथ में है. उन्हें वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 27.30 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक मिला. ग्रोहे-हुरुन इंडिया रियल एस्टेट लिस्ट 2023 में 65 वर्षीय सिंह को 1,24,420 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ सबसे अमीर रियल एस्टेट उद्यमी नामित किया गया थ. आज 2 लाख करोड़ रुपये के बाजार मूल्यांकन के साथ डीएलएफ भारत की शीर्ष रियल एस्टेट कंपनी बनी हुई है.

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