21 साल की उम्र में बहन-भाई ने मिलकर शुरू किया केक का बिजनेस, अब 25 से 30 लाख का है टर्नओवर

पाली. एक कहावत है संघर्ष जितना ज्यादा कठिन होगा सफलता उतनी ही खूबसूरत होगी. ऐसा ही संघर्ष छोटी सी उम्र में कर दिखाया है अपेक्षा जैन ने. अपेक्षा ने 16 वर्ष की उम्र में सफलता की ऐसी कहानी लिख दी जो आज सभी के लिए मिसाल बनी हुई है. अपने भाई के साथ मिलकर अपेक्षा जैन ने स्टार्ट-अप लॉन्च किया,  जिसका टर्नओवर 25 लाख रुपए सालाना तक पहुंच गया है. हालात यह है कि अपेक्षा जैन द्वारा बनाए केक और पेस्ट्री आइटम की डिमांड इतनी है कि उनके ऑफिशियल पेज पर हर दिन लोग उन्हें ऑर्डर्स की भरमार लगी रहती है.

अपेक्षा ने सप्लाई के लिए ऐक्स्ट्रा स्टाफ भी लगाया है. फिलहाल उनके काम में उनका भाई भी सहभागी है और दोनों मिलकर देशभर में अपने ब्रांड को फैलाने की तैयारी में जुटे है. पाली की अपेक्षा जैन 16 साल की उम्र में अपना बिजनेस करने की प्लानिंग की. पिता ने साफ इनकार कर दिया और बोले-पढ़ाई की उम्र में पढ़ाई करिए. इसके बावजूद हार नहीं मानी और भाई के साथ पापा को फिर से मनाया. घर में सभी की सहमति मिली तो रिसर्च वर्क किया और अब 21 साल की उम्र में अपेक्षा ने भाई अभय जैन के साथ मिलकर खुद की बेकरी शॉप खोली है, जहां हर समय खरीदारों की भीड़ लगी रहती है.

केक बनाने की शुरुआत
अपेक्षा जैन के संघर्ष की बात करे तो जब वह 16 साल की थी तो उसने गर्मी की छुटि्टयों में समर कैंप में केक बनाना सीखा. उसे लगा कि वह इससे बेहतर केक बना कर सेल कर सकती है. इसलिए इंस्टाग्राम पर एक पेज बनाया जिसका नाम रखा @ohh_my_cakee ,जहां खुद के बनाए केक बनाकर शेयर करने लगी. पहला ऑर्डर सोशल मीडिया के जरिए ही मिला. केक बनाने का सारा सामान खरीदा और केक बनाकर बेचा. तारीफ मिली तो दो-तीन केक बनाकर रिश्तेदारों और मोहल्लेवासियों को टेस्ट करवाए, जिसका रिस्पॉन्स अच्छा मिला.

इस तरह की शुरूआत 
अपेक्षा जैन को जब अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा तो इस क्षेत्र में ही कॅरियर बनाने की सोची. फिर अहमदाबाद के MTAC इंटरनेशनल क्लीनरी स्कूल से डिप्लोमा इन पेस्ट्री आर्ट किया. फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक-दो केक के ऑर्डर से शुरुआत हुई. आज स्थिति यह है कि रोजाना 50 के करीब ऑर्डर आ जाते है. बहन का काम बढ़ता देखकर भाई अभय जैन भी उसकी मदद के लिए जुड़ गया.

25 लाख सालाना रहती है सेल 
अपेक्षा ने बताया कि पिछले दो सालों की बात करते हैं तो वह सालाना करीब 25 से 30 लाख रुपए की सेल कर लेते है, जिसमें उनके दो हेल्पर की सैलेरी 12-12 हजार रुपए भी निकाल लेते है और कुछ सेविंग भी कर लेते है. रूटीन में प्रतिमाह दो से ढाई लाख रुपए के सेल हो जाती है. अपेक्षा बताती है कि अभी तक तो वह पालीवासियों के ऑर्डर भी पूरा नहीं कर पाती, लेकिन उनका सपना है कि पूरे देश में वह अपने ब्रांड के नाम से ब्रांचें खोले और उनके हाथ के बनाए केक, बेकरी आइटम सभी को टेस्ट करवाएं.

इतने तरह के फ्लेवर के केक बना लेती है अपेक्षा
अपेक्षा अब 20 तरह फ्लेवर के केक सहित 12 तरह के बेकरी आइटम, 5 तरह के शेक और कोल्ड कॉफी, पिज्जा कोरियन क्रीम चीज बर्न बनाती है. इसमें उनके द्वारा बनाया गया बिस्किट केक, चीज केक, ब्राउनी केक खासी डिमांड में रहते है. इनकी कीमत 1100 प्रति KG से शुरू होती है. इसके साथ ही उनके द्वारा बनाए गए बेकरी आइटम शहर की करीब 20 से ज्यादा शॉप पर सप्लाई होते है. आज अपेक्षा ने पाली ही नहीं बल्कि बाहर के जिलों में भी अपना अच्छा नाम बना लिया है.

क्वॉलिटी का खुद विशेष ध्यान रखती है अपेक्षा 
अपेक्षा ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि सारे उच्च स्तर के आइटम केक, बेकरी बनाने के आइटम में यूज लेते है. ऐसे में जो क्वालिटी प्रोडक्ट खाना पसंद करती हैं, क्वालिटी के कारण उनके फूड आइटम्स को प्रिफर करते है. वह केक हो या बेकरी आइटम्स, खुद ही बनाती है. अलग से शेफ नहीं लगा रखा है. दो हैल्पर रखे हुए है, जिनकी मदद जरूर लेती है. उनके बनाए केक की खासियत यह रहती है कि क्वालिटी पर खास फोकस रहता है. सभी आइटम्स ताजा बनाकर देते है और स्टोर करके नहीं रखते. सेम डे सेलिंग भी अच्छी है.

बहन की खुशी के लिए मदद कर करवाई शुरूआत
अपेक्षा के भाई अभय जैन वैसे तो इवेंट मैनेजमेंट का काम करते है लेकिन अपनी बहन अपेक्षा का मन था कि वह खुद की एक शॉप खोले तो क्या था भाई उसकी मदद में जुट गए. अभय जैन बताते हैं कि उसने पिछले तीन-चार साल में केक और बेकरी आइटम्स की सेलिंग से कुछ सेविंग कर ली थी. फिर थोड़ी मदद पापा से ली और रोटरी क्लब के निकट ohh_my_cakee से शॉप करीब दो महीने पहले ओपन की. रिस्पॉन्स काफी अच्छा आ रहा है. 5 लाख रुपए खर्च कर फर्नीचर, डेकोरेशन, रंग-रोगन, फ्रीज, बेकरी में काम आने वाली मशीनें, ओवन आदि खरीदे. उसके बाद इसकी शुरूआत की जिसको आज काफी अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है.

Tags: Local18, Rajasthan news, Success Story

Source link