भारत की महिला इंजीनियर के सामने झुक गई फोर्ड मोटर्स! गर्व से भर देगी ये कहानी

हाइलाइट्स

दमयंती हिंगोरानी का जन्‍म पाकिस्‍तान में हुआ और आजादी के बाद भारत आ गईं. उनकी मां ने शिक्षा का महत्‍व बताया और नेहरू ने इंजीनियर बनने का सपना दिखाया. साल 1965 में फोर्ड मोटर्स की पहली महिला इंजीनियर बनीं और 35 साल काम किया.

नई दिल्‍ली. अमेरिका की कंपनी जहां किसी अमेरिकी या अंग्रेज महिला को नौकरी नहीं मिल रही थी, वहां पहली बार एक भारतीय महिला इंजीनियर नौकरी मांगने पहुंची. जाहिर है कि उन्‍हें बैरंग लौटा दिया गया होगा, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि कंपनी को अपना सालों पुराना नियम बदलना पड़ा और पहली बार किसी महिला इंजीनियर को नौकरी देनी पड़ी. इसके बाद तो महिलाओं के लिए इस कंपनी के रास्‍ते खुल गए. यह कहानी हर भारतीय को गर्व से भर देगी.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं अमेरिका की प्रतिष्ठित मोटर कंपनी फोर्ड में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर दमयंती हिंगोरानी गुप्‍ता (Damyanti Hingorani Gupta) की. महज 13 साल की उम्र में उन्‍होंने तय कर लिया था कि आगे चलकर इंजीनियर बनना है. आखिर वह समय आया जब पढ़ाई समाप्‍त कर वे नौकरी मांगने अमेरिका के डेटरॉयट शहर स्थित फोर्ड मोटर्स के ऑफिस पहुंच गईं. इस समय तक फोर्ड में एक भी महिला इंजीनियर नहीं थी.

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रिक्रूटर ने लौटा दिया उल्‍टे पांव
टाइम मैग्‍जीन को दिए एक इंटरव्‍यू में दमयंती हिंगोरानी ने बताया कि साल 1967 में जब वे नौकरी के लिए फोर्ड मोटर्स के ऑफिस पहुंचीं तो एचआर उनका रिज्‍यूमे देखते ही एचआर का माथा ठनक गया. उसने कहा कि आप इंजीनियर पोस्‍ट के लिए आई हैं, लेकिन हमारे यहां तो कोई महिला इंजीनियर की पोस्‍ट ही नहीं है और न ही कंपनी की ऐसी पॉलिसी है. इतना कहकर रिक्रूटर ने वापस लौटा दिया.

फिर दिखाया ऐसा दम कि…
एचआर के इनकार करने पर दमयंती मायूस कदमों से वापस दरवाजे की तरफ मुड़ गईं, लेकिन दरवाजा खोलने से पहले वापस मुड़ीं और एचआर से बोलीं, ‘अभी तक आपके पास कोई महिला इंजीनियर नहीं है और मैं पहली हूं जो नौकरी मांगने आई हूं. जब आप मुझे मौका नहीं देंगे, आपकी कंपनी में कोई महिला इंजीनियर कैसे आएगी.’ यह सुनकर रिक्रूटर काफी प्रभावित हुआ और उसने अपने बॉस से बाकायदा विरोध करके पहली बार कंपनी में किसी महिला इंजीनियर को भर्ती किया. इसके बाद तो दमयंती ने अगले 35 साल फोर्ड के साथ ही बिताए.

पहले पीएम नेहरू ने जलाई अलख
दमयंती हिंगोरानी गुप्‍ता का कहना है कि वे जब 13 साल की थीं, तब अपनी मां के साथ पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भाषण सुनने पहुंचीं. नेहरू ने अपने भाषण में कहा था कि 200 साल के अंग्रेजी शासन में देश में एक भी ऐसी कंपनी नहीं बनी, जिसमें इंजीनियर काम कर सकें. हमें आगे बढ़ने के लिए इंजीनियर्स की जरूरत है और यह काम सिर्फ लड़कों को ही नहीं, लड़कियों को भी करना होगा. दमयंती पहली बार नेहरू के मुंह से ही इंजीनियर शब्‍द सुना और तभी तय कर लिया कि उन्‍हें भविष्‍य में यही बनना है.

पढ़ाई में भी सबको चौंकाया
दमयंती ने इंजीनियरिंग के लिए भी ऐसा ट्रेड चुना कि उनके कॉलेज के सभी लड़के चौंक गए. इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाली वह पहली लड़की थीं, जाहिर है कि बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा. ऊपर से उन्‍होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग चुना, जिसमें सिर्फ लड़के ही जाते थे. कॉलेज में लड़कियों के लिए कोई वॉशरूम भी नहीं था और दमयंती को हर बार डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर रेस्‍टरूम यूज करना पड़ता था. हालांकि, डीन ने अगले साल उनके लिए बाकायदा एक टॉयलेट बनवाया.

हेनरी फोर्ड की बायोग्राफी ने दिखाया सपना
दमयंती बताती हैं कि 19 साल की उम्र में उन्‍होंने हेनरी फोर्ड की बायोग्राफी पढ़ी और उनसे काफी प्रभावित हुईं. तभी उन्‍होंने तय कर लिया था कि एक दिन फोर्ड कंपनी में बतौर इंजीनियर काम करना है. यही कारण है कि इंजीनियरिग कॉलेज में दाखिला लेते ही उन्‍होंने मैकेनिकल ट्रेड को चुन लिया. दमयंती का कहना है कि उनके पैरेंट ने सपना पूरा करने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था. उनकी मां का कहना था कि परिवार से एक भी बच्‍चा पढ़ाई में आगे निकल जाए तो पूरे परिवार की किस्‍मत बदल जाती है. हुआ भी ऐसा, क्‍योंकि इसके बाद दमयंती अपने 3 भाई-बहनों को लेकर अमेरिका गईं और उनका पूरा परिवार बदल गया.

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