टाटा की कंपनी टाइटन ने राकेश झुनझुनवाला तक को बिग बुल बना दिया. टीसीएस ने भी आईपीओ के बाद से ही बढ़िया रिटर्न निवेशकों को दिया.रतन टाटा के नेतृत्व में कई कंपनियों का वैल्यूएशन कई गुना तक बढ़ गया.
Ratan Tata Leadership : जब राकेश झुनझुनवाला ने 2002-03 में टाइटन के शेयरों को 30 रुपये प्रति शेयर की औसत कीमत पर खरीदा, तो कई लोगों ने इसे जोखिम भरा निवेश माना. उस समय टाइटन को कम मांग का सामना करना पड़ रहा था, और सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं. टाइटन केवल घड़ियां ही नहीं बनाती, बल्कि सोने के गहने बनाने और बेचने का काम भी करती है. वित्त वर्ष 2001 में कंपनी का शुद्ध लाभ मात्र 23 करोड़ रुपये था, जो इसके अगले ही साल घटकर 13 करोड़ रुपये रह गया. इसके शेयर की कीमत 30 रुपये के आसपास थी, और हालात काफी चुनौतीपूर्ण थे. बावजूद तमाम कठिनाइयों के तनिष्क ब्रांड के नए स्टोर खुल रहे थे और ज्वैलरी का कारोबार बढ़ रहा था, हालांकि घड़ियों का बिजनेस गिरावट में था.
दिवंगत राकेश झुनझुनवाला ने उस समय की परिस्थितियों में एक अवसर देखा. वित्त वर्ष 2003 में यूरोप में ऑपरेशंस को पुनर्गठित करने के लिए कंपनी ने लगभग 10 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की थी, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी को 6.21 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ, जो तत्काल गुजरे वित्त वर्ष वर्ष की तुलना में 50% की गिरावट थी. इस मौके को समझते हुए उन्होंने टाइटन के शेयर खरीदने शुरू कर दिए.
पत्नी के पास 16,000 करोड़ के शेयर
आज, उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला के पास टाइटन में 5.34% हिस्सेदारी है, जिसकी मौजूदा कीमत 16,440 करोड़ रुपये है, जबकि टाइटन की कुल बाजार पूंजीकरण 3.08 लाख करोड़ रुपये का है. यह निवेश न केवल झुनझुनवाला की सबसे सफलतम फैसलों में से एक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे उन्होंने कंपनी के असली मूल्य को उसके लिस्टेड कीमत से कहीं बेहतर पहचाना. उनके निवेश के बाद से टाइटन के शेयरों ने औसतन 26 फीसदी की सालाना ग्रोथ की है.
केवल टाइटन ही नहीं, टाटा ग्रुप की ऐसी और भी कई कंपनियां हैं, जिन्होंने अपने निवेशकों को जबरदस्त मुनाफा दिया है. टाइटन की कहानी इसलिए, क्योंकि लोगों ने रतन टाटा और टाटा ग्रुप के लिए उनके प्रयासों को बहुत ऊपरी तौर पर देखा है. रतन टाटा का युग एक ऐसा समय था, जब आंखें मूंदकर ग्रुप की कंपनियों में निवेश किया जा सकता था. यदि कोई निवेशक इस समय में पैसा नहीं कमा पाया, तो वह उसकी बदकिस्मती ही होगी, क्योंकि रतन टाटा और टाटा ग्रुप ने कंपनियों को जमीं से आसमां तक पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. टाइटन तो मात्र एक उदाहरण है.
9 अक्टूबर को भारतीय उद्योग जगत ने अपने सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक रतन टाटा को खो दिया. वे टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस थे. उन्होंने अपने नेतृत्व में टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. 2015 में ‘निफ्टी टाटा ग्रुप इंडेक्स’ का रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) 14 फीसदी था, जो 2024 में बढ़कर 22 प्रतिशत हो गया. यह कुशलता रतन टाटा के नेतृत्व की बदौलत थी, जिन्होंने ग्रुप में इनोवेशन को बढ़ावा दिया. उन्होंने कई बिजनेसेज को बंद कर दिया या बेच दिया, जिनमें वृद्धि की संभावना कम थी. नए आइडिया और बिजनेस (रिटेल और ऑटो) में प्रसार किया. साथ ही उन्होंने टीसीएस, टाटा मोटर्स और टाइटन जैसी हाई ग्रोथ वाली कंपनियों पर ध्यान केंद्रित किया.
गलत साबित हुए टाइटन को कम आंकने वाले
2004 में जब टाइटन को एक ‘वैल्यू बाय’ माना जा रहा था, तभी टाटा ग्रुप की एक और कंपनी टीसीएस (टाटा कंस्लटेंसी सर्विसेज) 850 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर लिस्ट हुई. उस समय लगभग हर निवेशक ने टाइटन को नजरअंदाज कर टीसीएस पर दांव लगाया. टाइटन ने पिछले 20 सालों में 37 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न दिया है, जबकि टीसीएस ने 20% वार्षिक रिटर्न दिया है.
टाटा ग्रुप के बारे में ये नहीं जाना तो क्या जाना!
- टाटा ग्रुप की 6 कंपनियां निफ्टी 50 के कुल बाजार पूंजीकरण 14% हिस्सा हैं.
- टाटा ग्रुप की इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण अक्टूबर 2014 में 7.52 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्तमान में 28 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.
- टीसीएस, जो भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है, का बाजार पूंजीकरण 15 लाख करोड़ से अधिक है.
- ट्रेंट, टाटा ग्रुप की सबसे नई कंपनी है, जिसका RoCE 60 फीसदी तक पहुंच गया है.
- टाइटन ने पिछले 5 सालों में 178% रिटर्न दिया है.
- टाटा स्टील, एशिया की पहली इंटीग्रेटेड स्टील कंपनी है, जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 21.6 मिलियन टन है.
- टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है.
- टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने खाद्य और पेय क्षेत्र में बड़ी हिस्सेदारी बनाई है.
- रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप की आय 46 गुना बढ़ी और मुनाफा 51 गुना बढ़ा.
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FIRST PUBLISHED : October 16, 2024, 11:55 IST