प्राइवेट नौकरी छोड़ शुरू की UPSC की तैयारी, चौथी रैंक लाकर बने थे IAS अधिकारी

लखनऊ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 1978 में चौथी रैंक लाने वाले IAS आलोक रंजन का जन्म 9 मार्च 1956 को हुआ. उनके पिता त्रिभुवन नाथ श्रीवास्तव IFS यानी इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में अधिकारी थे. इस दौरान उनकी तैनाती फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI) देहरादून में रही. यही कारण रहा कि आलोक रंजन का बचपन देहरादून से शुरु हुआ और देहरादून के ही सेंट जोसेफ कॉलेज से 9वीं तक की पढ़ाई हुई.

बचपन से होशियार थे IAS अधिकारी

वहीं, पिता का स्थानांतरण लखनऊ होने पर आलोक रंजन भी लखनऊ आ गए और अपनी आगे की पढ़ाई लॉ मार्टिनियर कॉलेज लखनऊ से की. बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रहे आलोक रंजन ने इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र से बीए ऑनर्स की पढ़ाई की. इस तरह से आलोक रंजन के पढ़ाई का कारवां IIM अहमदाबाद से MBA तक पहुंचा.

नौकरी छोड़ शुरू की UPSC की तैयारी

MBA करने के बाद मुंबई की एक प्रतिष्ठित कंपनी में अच्छे पैकेज के साथ आलोक रंजन को नौकरी भी मिली, लेकिन यह नौकरी उन्हें रास न आई. समाज के लिए कुछ कर गुजर जाने का ख्वाब देखने वाले आलोक रंजन ने इसके बाद दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में एक कमरे में रहकर अपनी सिविल सेवा की पढ़ाई शुरु कर दी.

यूपीएससी में मिली चौथी रैंक

वह साल 1978 का था. जब आलोक रंजन ने UPSC की परीक्षा टॉप कर चौथी रैंक हासिल की. इसके बाद आलोक रंजन ने इस सर्विस में रहने के दौरान अपने कठिन परिश्रम और लगन के दम पर समाज के प्रति एक सिविल सेवक के रूप में अपने दायित्वों का भरपूर निर्वहन किया.

6 जिलों में डीएम के पद पर रही तैनाती

आलोक रंजन बताते हैं कि जिलाधिकारी के रूप में 6 जिलों में उनकी तैनाती रही. इस दौरान उनके सामने क्या- क्या चैलेंजेज आए और किस तरह से एक जिलाधिकारी निचले तबके के व्यक्तियों को मुख्य धारा में जोड़ सकता है. इन सब के बारे में एक विस्तृत चर्चा की. उन्होंने अपनी एक किताब ‘जिलाधिकारी’ जिला प्रशासन की चुनौतियां में दर्ज की है.

जनता से करते थे सीधा संवाद

आलोक रंजन ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के कार्यकाल के दौरान वह अपने दिन भर के समय में से 1 घंटे का समय जनता दर्शन के लिए रखते थे. इस 1 घंटे में वह जनता से सीधे जुड़कर उनकी समस्याएं सुनते और संबंधित अधिकारी से तत्काल उनकी समस्या दूर करने के निर्देश भी देते थे.

 IAS अधिकारी ने युवाओं को दिया है संदेश

आलोक रंजन ने प्रतियोगी छात्रों के नाम एक संदेश देते हुए कहा है कि यदि कोई छात्र समाज को एक नई व सकारात्मक दिशा में आगे ले जाना चाहता है, तो वह जरुर सिविल सेवा की तैयारी करे. इसके लिए जमकर पढ़ाई व मेहनत करे.

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