रतन टाटा के बारे में तो आपने बहुत कुछ सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका सबसे करीबी दोस्त कौन है? शांतनु नायडू, एक ऐसा नाम है जो रतन टाटा के करीबी मित्र और सहायक के रूप में जाना जाता है. एक सोशल एक्टिविस्ट, पशु प्रेमी, लेखक और युवा उद्यमी के रूप में शांतनु ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है. उनकी कहानी प्रेरणा का स्रोत है. उनकी सफलता की कहानी में दोस्ती, समाज सेवा, और बिजनेस की दुनिया के कई पहलुओं को छूती है.
1993 में पुणे में एक तेलुगु परिवार में जन्मे शांतनु नायडू अपनी उम्र के लोगों से हमेशा कुछ अलग रहे हैं. आज 31 साल की उम्र में उन्होंने बिजनेस की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. शांतनु नायडू न सिर्फ बिजनेस की दुनिया में अपनी सफलता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता भी उन्हें खास बनाती है. पशु प्रेम और समाज सेवा के प्रति उनकी गहरी रुचि के चलते उन्होंने “मोटोपॉज” नाम की संस्था बनाई, जो सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की मदद करती है. हालांकि यह कहना और सुनना थोड़ा अजीब लग सकता है कि 86 साल के रतन टाटा और 31 साल के शांतनु के बीच इतनी गहरी दोस्ती कैसे है? चलिए समझते हैं क्यों शांतनु खुद को रतन टाटा के करीब पाते हैं?
शांतनु नायडू और रतन टाटा की दोस्ती
शांतनु की संस्था मोटोपॉज ने सड़क पर घूमने वाले कुत्तों के लिए विशेष डेनिम कॉलर बनाए, जिन पर रिफ्लेक्टर लगे होते थे, ताकि तेज़ गाड़ियों से उनकी जान बच सके. इस नई सोच ने रतन टाटा का ध्यान खींचा, जो खुद एक पशु प्रेमी हैं. रतन टाटा ने शांतनु को मुंबई बुलाया, और वहीं से दोनों के बीच एक गहरी दोस्ती की शुरुआत हुई. दोनों के बीच की समान सोच और सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श ने इस रिश्ते को और भी मजबूत किया.
शांतनु अब रतन टाटा के ऑफिस में जनरल मैनेजर के पद पर काम करते हैं और नए स्टार्टअप्स में निवेश को लेकर टाटा ग्रुप को सलाह भी देते हैं. लेकिन उनकी उपलब्धियां सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं. वह एक उद्यमी, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और लेखक भी हैं.
शांतनु नायडू की शिक्षा
शांतनु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन उन्होंने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है. इसके बाद उन्होंने 2016 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से MBA किया. कॉर्नेल में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले, जैसे कि हेमेटर एंटरप्रेन्योरशिप अवार्ड और जॉनसन लीडरशिप केस कॉम्पिटिशन जीतना.
शांतनु नायडू की सैलरी और नेट वर्थ
शांतनु नायडू की सफलता की कहानी युवाओं को प्रेरित करती है कि कड़ी मेहनत से बड़े मुकाम तक पहुंचा जा सकता है. उनकी ज्यादातर प्रोफेशनल ज़िंदगी समाज सेवा के इर्द-गिर्द है. हालांकि उनकी सैलरी के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 5-6 करोड़ रुपये के बीच है. उनके इस नेटवर्क में रतन टाटा के साथ काम करने, मोटोपॉज के माध्यम से समाज सेवा और उनके ऑनलाइन प्रेरणात्मक टॉक से होने वाली आय शामिल है.
शांतनु हर रविवार को अपने इंस्टाग्राम हैंडल “On Your Sparks” पर लाइव सेशंस करते हैं, जहां वे छात्रों को एंटरप्रेन्योरशिप के बारे में सिखाते हैं. इसके लिए वे प्रत्येक प्रतिभागी से 500 रुपये की फीस लेते हैं, जो उनकी NGO मोटोपॉज के काम में खर्च होती है.
गुडफेलो ऐप
शांतनु नायडू का एक और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट “गुडफेलो” है. यह एक स्टार्टअप है जो बुजुर्ग नागरिकों को युवाओं से जोड़ने का प्लेटफॉर्म देता है. इस ऐप का उद्देश्य बुजुर्गों को उनके दैनिक कार्यों में मदद करना है, जैसे कि किराने का सामान खरीदना, दवाइयों की व्यवस्था करना या डॉक्टर के पास जाना. यह पहल एक तरफ बुजुर्गों को मदद देती है, तो दूसरी तरफ युवाओं को जीवन के अनुभवों से सीखने का मौका प्रदान करती है.
परिवार और निजी जीवन
शांतनु के परिवार के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. बताया जाता है कि उनके परिवार में उनके माता-पिता और एक बहन हैं. फिलहाल वे अविवाहित हैं और उनके दोस्तों के बारे में भी ज्यादा जानकारी नहीं है, सिवाय इसके कि रतन टाटा उनके सबसे करीबी दोस्तों में से एक हैं.
शांतनु नायडू ने अपनी किताब “I Came Upon a Lighthouse” में रतन टाटा के साथ अपनी दोस्ती के बारे में विस्तार से लिखा है. इस किताब में उन्होंने टाटा को एक अलग रोशनी में पेश किया है, जो दुनिया के सामने एक सफल व्यवसायी के रूप में जाने जाते हैं. किताब में टाटा और नायडू के बीच के अनमोल पलों का उल्लेख किया गया है, जो उनके रिश्ते को और गहरा बनाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 24:41 IST