तीन गिर गाय से शुरू किया था डेयरी फार्म, आज महीने में लाखों की कमाई

खरगोन: मध्य प्रदेश के किसान अब समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ पशु पालन से दुगना मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसी ही एक सफलता की कहानी आज हम आपके लिए लेकर आए. कहानी है खरगोन के दो दोस्त वीरेंद्र पाटीदार और सचिन पाटीदार की. जिन्होंने वर्ष 2020 में खेती के साथ 3 गिर गाय से डेयरी फार्म की शुरुआत की थी. आज चार साल में 15 गाय और 60 भैंस हो गई. सिर्फ दूध बेचकर महीने में 5 से 6 लाख रुपए की आमदनी हो रही है.

दरअसल, दोनों दोस्त सचिन और वीरेंद्र पेशे से किसान हैं. जिले की पवित्र नगरी मंडलेश्वर के निवासी हैं. कोविड के दौरान एक साल तक शहर के लोगों को जैविक सब्जियां उपलब्ध कराई. तभी शुद्ध दूध और दूध से बने उत्पादों की डिमांड आई. लोगों को सब्जियों के अलावा शुद्ध दूध उपलब्ध कराने का मन बनाया और डेयरी फार्म शुरू किया.

डेयरी फार्म में है 75 गाय-भैंस 
लोकल 18 से बातचीत में वीरेंद्र पाटीदार ने कहां कि 1.50 लाख रुपए की लागत से तीन गीर गाय खरीदकर लाएं. लोगों को गाय का दूध उपलब्ध कराया. दूध का डिमांड बढ़ा तो गाय के साथ भैंस भी खरीदी. फार्म में अब 12 गाय गीर नस्ल की है. 3 गाय साहीवाल और एचएफ की क्रासिंग बीड शंकर नस्ल की है. 60 मुर्रा भैंस है. दूध विक्रय और दूध से बने उत्पादों को बेचने के लिए श्री सिद्धि विनायक दूध डेयरी भी चलाते है.

इतनी होती है कमाई 
गाय और भैंस से रोजाना लगभग 500 लीटर दूध मिलता है. दूध दोहने के लिए मशीन और मेन पॉवर दोनों का इस्तेमाल करते हैं. आस-पास के किसानों से भी 300 से 400 लीटर दूध क्रय करते है. दुकान से रोजाना करीब 400 लीटर दूध बेचते है. गाय का दूध 50 रुपए और भैंस का दूध 60 रुपए लीटर बेचते है. खर्चा काटकर महीने का एक से डेढ़ लाख रुपए की कमाई होती है.

शासकीय योजना में मिला 35% अनुदान
वहीं, सचिन पाटीदार ने Local 18 को बताया कि बचे हुए दूध से 12-15 प्रकार की मिठाइयां बनाते हैं. शादियों के सीजन में मावा बनाते है. इसके अलावा श्रीखंड के लिए चक्का, पनीर और घी बनाते है. इससे अलग आमदनी होती है. उत्पाद बनाने के लिए अत्याधुनिक मशीनें, कोल्ड स्टोरेज खरीदें है. इन मशीनों के लिए शासन से प्रधानमंत्री योजगार योजना में 40 लाख रुपए का लोन लिया. इसमें 35 प्रतिशत अनुदान मिला है.

क्षेत्र में नहीं हैं इसी मशीन 
गुजरात से मावा बनानी की ऑटोमेटिक मशीन खरीदी है. इस तरह की मशीन पूरे क्षेत्र में कहीं और नहीं है. इसी तरह दूध ठंडा करने के लिए 1000 लीटर की चिलिंग मशीन, घी पेकिंग और दूध की शुद्धता की जांच के लिए भी मशीनें लगाई है. लगभग 5 टन की क्षमता वाला कोल्ड स्टोरेज है. इसमें माइनस 6 डिग्री सेल्सियस तक टेंप्रेचर रहता है.

8 बीघा में लगाई नेपियर घास 
बता दें कि दूध शुद्ध मिले इसके लिए गाय और भैंस के भोजन पर भी विशेष ज्ञान दिया गया है. इसके लिए डेयरी फार्म के पीछे करीब 8 बीघा खेत में जैविक तकनीक से नेपियर घास लगाई है. इसके बीज भी गुजरात से लाए गए थे. घास के बीज अन्य किसानों को भी निशुल्क देते हैं. गौशाला भी चलाते हैं. जहां लावारिस बीमारू गायों को रखते है और उनका उपचार कराते हैं.

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