2 बहनों ने पापा से उधार लेकर शुरू किया काम, अब वैल्यूएशन 3500 करोड़, देश का सबसे बड़ा कैश एग्जिट संभव

हाइलाइट्स

20 साल पहले दोनों बहनों ने मिलकर ‘थियोब्रोमा’ बेकरी की शुरुआत की थी.शुरुआत में पैसा जुटाने में बड़ी दिक्कत हुई, क्योंकि लोग भरोसा नहीं कर रहे थे.आज देशभर में 200 से अधिक आउटलेट हैं और कंपनी की वैल्यूएशन 3,500 करोड़ के आसपास.

नई दिल्ली. भारत के सबसे मशहूर बेकरी ब्रांड में से एक, थियोब्रोमा (Theobroma) की कहानी दो बहनों की मेहनत और संकल्प की मिसाल है. 2004 में मुंबई के एक छोटे से कमरे से शुरू हुई बेकरी ने आज 225 आउटलेट्स के साथ एक बड़े बेकरी चेन के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया है. केनाज़ और टीना मेसमैन ने बिना किसी बड़े बिजनेस प्लान के सिर्फ अपने जुनून के दम पर इस सफर की शुरुआत की थी. थियोब्रोमा बेकरी की वैल्यूएशन अब 3,500 करोड़ रुपये के आसपास है. ताजा खबर ये है कि इस बेकरी को अधिग्रहित किए जाने की चर्चा है.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, थियोब्रोमा को जल्द ही 3,500 करोड़ के मूल्यांकन पर अधिग्रहित किया जा सकता है. यह सौदा भारत में किसी भी फाउंडर्स द्वारा किए गए सबसे बड़ी कैश एक्ज़िट्स में से एक हो सकता है. इस बेकरी की शुरुआत 2004 में तब हुई थी, जब केनाज़ एक पेस्ट्री शेफ के रूप में काम कर रही थीं, और उन्हें पीठ में चोट लगने की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी थी. शुरुआती कठिनाइयों के बावजूद थियोब्रोमा ने देशभर में पहचान बना ली है और आज देशभर में इसके 220 से ज्यादा आउटलेट्स हैं.

20 साल में अनहोनी को बना दिया होनी!
थियोब्रोमा का अधिग्रहण देश के इतिहास में एक बड़ा वित्तीय सौदा साबित हो सकता है. खबरों के मुताबिक, क्रिसकैपिटल (ChrysCapital) थियोब्रोमा फूड्स और बेल्जियम वाफल कंपनी को लगभग 3,200 से 3,500 करोड़ रुपये में अधिग्रहित करने के करीब है. बड़ा सौदा इसलिए, अगर यह डील सिरे चढ़ती है तो यह किसी भी फाउंडर/फाउंडर्स के लिए भारत में सबसे बड़ा कैश एक्ज़िट हो सकता है. यह उन बहनों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी, जिन्होंने सिर्फ 20 साल पहले एक छोटे से कमरे से इस बेकरी चैन की शुरुआत की थी.

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केनाज़ मेसमैन हर्चंद्रई और टीना मेसमैन वायक्स ने इस बेकरी की नींव रखी थी. केनाज़ ने लंदन के ‘Le Cordon Bleu’ में ट्रेनिंग ली थी, और उसके बाद ओबेरॉय उदयविलास में काम किया. उन्होंने 2020 में अपनी किताब The Theobroma Story: Baking a Dream में बताया कि यह विचार उनके दिमाग में तब आया, जब उन्हें चोट के कारण अपना शेफ का काम छोड़ना पड़ा था.

शुरू में पैसा जुटाने में हुई बड़ी दिक्कत
हालांकि उनके पास बेकिंग का अच्छा अनुभव था, लेकिन बेकरी शुरू करने के लिए पूंजी जुटाने में मुश्किलें आईं. इस मुश्किल को हल करने के लिए उनके पिता ने शुरुआती 1.5 करोड़ रुपये की पूंजी दी थी. उन्होंने बताया कि यह शुरुआत कुछ अलग नहीं थी, क्योंकि वे घर पर पहले से ही बेकिंग का काम कर रही थीं और अब इसे एक बड़ा रूप देना चाहती थीं.

नाम भी रखा बड़ा स्पेशल
मुंबई के कोलाबा में दशहरे के दिन 2004 में उनका पहला आउटलेट खुला. बेकरी का नाम चुनना भी एक दिलचस्प प्रक्रिया थी. Theobroma नाम एक दोस्त ने सुझाया, जो ग्रीक भाषा के theos (भगवान) और broma (भोजन) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘देवताओं का भोजन’.

उस समय भारत में बेकरी इंडस्ट्री अभी उतनी विकसित नहीं थी, और केनाज़ और टीना ने शहर के युवा वर्ग के बीच यूरोपीय स्टाइल के ब्राउनीज़ और डेसर्ट्स के साथ अपनी पहचान बनाई. उन्होंने प्रीमियम सामग्री और आसानी से उपलब्ध होने वाली लग्ज़री पर ध्यान केंद्रित कर एक खास जगह बनाई.

तेजी से लोकप्रियता के बावजूद थियोब्रोमा को शुरुआती दिनों में फंडिंग और विस्तार के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. गुणवत्ता बनाए रखने की ऊंची लागत के कारण उन्हें पहली बार 2014 में 5 करोड़ रुपये का लोन लेना पड़ा, जिससे वे अपने एकमात्र आउटलेट से आगे बढ़ सके.

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