Success Story : आपने बड़े-बड़े उद्योगपतियों का नाम सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी वालचंद हीराचंद दोशी का नाम सुना है? संभव है कि न सुना हो. वालचंद भारतीय उद्योग जगत के बहुत बुलंद सितारे हैं, मगर विडम्बना ये है कि अधिकतर भारतीय उनके नाम और काम से वाकिफ नहीं है. यूं तो वालचंद ने देश को बहुत बड़े-बड़े उद्योग स्थापित करके दिए, मगर आज हम एक उनके द्वारा बनाई गए एक ऐसी कंपनी की बात कर रहे हैं, जिसकी मार्केट कैप 2,93,458 करोड़ रुपये है. जी हां लगभग 3 लाख करोड़ रुपये. इस कंपनी ने पिछले कुछ सालों में जबरदस्त तेजी दिखाई है और इसके शेयर में पैसा लगाकर बैठे लोग मालामाल हो चुके हैं.
एक बात यकीन से कही जा सकती है कि आपने शायद वालचंद हीराचंद का नाम न सुना हो, परंतु उनकी बनाई कंपनी को जरूर जानते होंगे. कंपनी का नाम है हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL). जी, HAL की स्थापना वालचंद ने ही की थी. बाद में इस कंपनी में सरकार ने अधिकतम हिस्सेदारी खरीद ली और आज इसे एक सरकारी कंपनी के तौर पर जाना जाता है. आज की कहानी वालचंद हीराचंद दोषी और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की है.
मेहनत से हासिल किया मुकाम
साल 1891 में जन्मे वालचंद दोशी ने अपने करियर की शुरुआत फैमिली बिजनेस से की. उनका परिवार कपड़ा और शिपबिल्डिंग जैसे क्षेत्रों में काम करता था. लेकिन वालचंद की दिलचस्पी एयरक्राफ्ट बनाने में थी. उन्हें इस बात का अहसास था कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक घरेलू एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री की बेहद जरूरत है.
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1940 में (भारत की आजादी से पहले) बेंगलुरु में उन्होंने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट वर्क्स (Hindustan Aircraft Works) की स्थापना की. वही भारत का पहला विमान निर्माण उद्योग था. शुरुआत में यह कंपनी विदेशी विमानों की मरम्मत और ओवरहॉलिंग का काम करती थी, लेकिन वालचंद के सपने और सोच इससे कहीं आगे की थी. उनका सपना था कि भारत अपना खुद का विमान बनाए और इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की.
1945 में भारत सरकार ने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट वर्क्स में अधिकांश हिस्सेदारी हासिल की. इस डील के बाद कंपनी कान नाम बदलकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) रखा गया. इस साझेदारी ने भारत के औद्योगिकीकरण के प्रयासों को एक नई दिशा दी और देश की तकनीकी प्रगति में HAL का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हुआ.
HAL की कहानी
HAL ने अपने शुरुआती दौर में विदेशों में बने विमानों की मरम्मत का काम किया, लेकिन जल्द ही उसने ट्रेनर एयरक्राफ्ट, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, और लड़ाकू विमानों का निर्माण भी शुरू कर दिया. HAL का एक प्रमुख प्रोजेक्ट HAL HJT-36 था, जो भारतीय वायुसेना के लिए एक बेसिक ट्रेनर विमान के रूप में तैयार किया गया था. 1963 में पहली बार उड़ा HJT-36 विमान ने कई पीढ़ियों के भारतीय पायलटों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
हालांकि, HAL का सफर भी काफी कठिनाइयों भरा रहा. उत्पादन में देरी और लागत में वृद्धि जैसी समस्याएं सामने आईं, लेकिन कंपनी ने हर चुनौती का सामना करते हुए अपनी स्थिति मज़बूत की. आज HAL ग्लोबल एयरोस्पेस इंडस्ट्री में एक बड़ी कंपनी के तौर पर स्थापित है, और इसके प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) तक शामिल हैं.
HAL के शेयर ने बना दिया धनवान
भारतीय सरकार ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काफी काम किया है. देश विमानन क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होना चाहता है. इसी वजह से HAL का राजस्व काफी बढ़ा है और कंपनी के शेयर भी बहुत तेजी से रॉकेट की तरह भागे हैं.
1 जनवरी 2020 के एचएएल के शेयर का भाव 365.10 रुपये पर बंद हुआ था. अभी पांच साल भी पूरे नहीं हुए हैं और कल (23 सितंबर 2024) का भाव 4,437 रुपये था. 5 वर्ष से भी कम के समय में कंपनी के शेयर ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया है. यह रिटर्न 1,115% बनता है. अगर किसी निवेशक ने जनवरी 2020 में एक लाख रुपये का निवेशक किया होगा और वह आज भी अपने निवेश के साथ बैठा होगा तो उसका पैसा बढ़कर 11 लाख से ज्यादा बन चुका होगा.
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FIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 15:31 IST