जैसे रतन टाटा वैसे ‘राममूर्ति त्यागराजन’! हैरान कर देगी इनकी सादगी

Success Story: रतन टाटा जैसे उद्योगपति मिलना बड़ा मुश्किल है. अरबों का कारोबारी समूह संभालने के बावजूद महज उनकी नेटवर्थ 8000 करोड़ रही, उसे भी उनके दुनिया से जाने के बाद ट्रस्ट को दान में देने की तैयारी है. रतन टाटा की तरह ही देश के एक और अरबपति कारोबारी है जो सादगी से जीवन जीना पसंद करते हैं और दान देने में सबसे आगे हैं. इस उदार शख्सियत का नाम है राममूर्ति त्यागराजन, शायद आप इन से ज्यादा परिचित ना हो, क्योंकि यह व्यक्ति कॉरपोरेट वर्ल्ड की चकाचौंध से हमेशा दूर रहते हैं. आर त्यागराजन, भारत की बैंकिंग और इंश्योरेंस इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम है.

राममूर्ति त्यागराजन, श्री राम ग्रुप के को-फाउंडर हैं. इन्होंने साल 1974 में एवीएस राजा और टी जयारमन के साथ इस कंपनी की शुरुआत की थी. अब यह कंपनी फाइनेंस और इंश्योरेंस इंडस्ट्री में बड़ा नाम बन गई है. श्रीराम ग्रुप की कीमत का मार्केट कैप डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा हो चला है. इतने बड़े व्यापारिक साम्राज्य को संभालने के बावजूद राममूर्ति त्यागराजन बेहदर सरल जीवन जीते हैं.

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फिजूलखर्ची पसंद नहीं

राममूर्ति त्यागराजन की शख्सियत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे फिजूलखर्ची को पसंद नहीं करते हैं, यही वजह है कि करोड़ों-अरबों का व्यापारिक साम्राज्य चलाने के बावजूद वे एक साधारण घर में रहते हैं. उनके पास लग्जरी कार नहीं बल्कि 6 लाख रुपये की एक साधारण-सी कार है. इतना ही नहीं वे मोबाइल तक नहीं रखते हैं. राममूर्ति त्यागराजन मोबाइल फोन को ध्यान भटकाने वाला यंत्र मानते हैं.

किसान का बेटा अब अरबपति कारोबारी

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के एक किसान परिवार में जन्मे आर त्यागराजन ने चेन्नई में कॉलेज की पढ़ाई की और फिर 1961 में भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनियों में से एक, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ज्वाइन कर ली. उनके करियर का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट 37 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर श्रीराम चिट्स की स्थापना की. इस वित्तीय संस्था के जरिए उनका फोकस उन वंचित लोगों को व्यवसायिक वाहन लोन देना था, जिन्हें बैंक से आर्थिक मदद नहीं मिल पाती. उनका यह डिसीजन लोन मार्केट में गेम चेंजर साबित हुआ.

कर्मचारियों के लिए दान में दिए करोड़ों रुपये

श्रीराम ग्रुप के जरिए आर त्यागराजन ने बैंकों द्वारा अस्वीकार किए गए कम आय वर्ग वाले लोगों को लोन देकर उनकी किस्मत बदल दी. श्रीराम ग्रुप के पास 30 कंपनियां हैं. उनकी कंपनी ट्रक, ट्रैक्टर और अन्य वाहनों पर लोन देती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, राममूर्ति त्यागराजन ने कंपनी में अपनी 6210 करोड़ रुपये से ज्यादा की हिस्सेदारी कर्मचारियों के लिए श्रीराम ओनरशिप ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दी. डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार श्रीराम ग्रुप के पास 2 करोड़ से ज्यादा कंज्यूमर हैं.

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