समाज ने मारे ताने..व्यक्तित्व पर उठाए सवाल, पिता की बीमारी ने झकझोर दिया, फिर भी नहीं मानी हार, आज बने स्टार

सूरज ने अपने दादा और अपने चाचा से गाना सीखा, दोनों ही गांव में भजन कीर्तन किया करते थे. सूरज ने कहीं भी क्लासिकल म्यूजिक ट्रेनिंग नहीं ली. खुद से ही उसने अपना गाना जारी रखा. धीरे-धीरे वह इस क्षेत्र में आगे बढ़ता चला गया.

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