विशाखापत्तनम से बस्ती के लिए चली ट्रेन, रास्ते में हो गई गायब,4 साल बाद पहुंची

Train Reached Destination After 4 Years: क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क किस देश में है. इसका सेहरा भारत के सिर पर है. भारत में कुल 115,000 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क है, जो दुनिया में सबसे बड़ा है. भारत में हर दिन 13,000 से ज्यादा ट्रेने चलती हैं, जो रोजाना लगभग दो करोड़, 31 लाख लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं.

जितने रेल यात्री भारत में एक दिन में सफर करते हैं, उतनी तो कनाडा की करीब आधी जनसंख्या है. लेकिन इतनी बड़ी रेल व्यवस्था में कभी-कभी ऐसे काम भी हो जाते हैं जो रिकॉर्ड बन जाते हैं. ऐसा ही एक अनचाहा रिकॉर्ड रेलवे के नाम तब दर्ज हुआ था जब विशाखापत्तनम से चली एक मालगाड़ी को उत्तर प्रदेश के बस्ती तक पहुंचने में लगभग चार साल का समय लगा था.

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दस साल पुराना है मामला
यह मामला दस साल पुराना है. एक मालगाड़ी 10 नवंबर, 2014 को विशाखापत्तनम से रवाना हुई. लेकिन वो करीब पौने चार साल बाद 25 जुलाई, 2018 को उत्तर प्रदेश के बस्ती स्टेशन पर पहुंची. इस मालगाड़ी को अपनी यात्रा पूरी करने में कुल 3 साल, 8 महीने और 7 दिन का समय लगा. इस ट्रेन को भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे अधिक लेट लतीफ ट्रेन माना जाता है. इस ट्रेन के इस तरह अभूतपूर्व देरी से पहुंचने पर रेल अधिकारी और कर्मचारी भी हैरान रह गए. इस मालगाड़ी ने लेट होने के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. विशाखापत्तनम से बस्ती तक की दूरी ट्रेन द्वारा आमतौर पर 42 घंटे और 13 मिनट में तय की जाती है. लेकिन इसे यात्रा पूरा करने में पौने चार साल का समय लगा. 

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उर्वरक ले जा रही थी ट्रेन
यह मालगाड़ी 1,316 बोरे डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक ले जा रही थी. इस गाड़ी के खाद लाने वाले वैगनों को 2014 में विशाखापत्तनम से इंडियन पोटाश लिमिटेड (IPL) के माध्यम से रामचंद्र गुप्ता के नाम बुक किया गया था. रामचंद्र गुप्ता बस्ती के एक व्यापारी हैं. मालगाड़ी 14 लाख रुपये से अधिक का माल लेकर विशाखापत्तनम से निर्धारित समय के अनुसार रवाना हुई. जिसका यात्रा पूरी करने के लिए सामान्य यात्रा समय 42 घंटे था. हालांकि, उम्मीदों के विपरीत ट्रेन समय पर नहीं पहुंची. जब ट्रेन नवंबर 2014 में बस्ती नहीं पहुंची, तो रामचंद्र गुप्ता ने रेल अधिकारियों से संपर्क किया और कई लिखित शिकायतें दर्ज कीं. उनके बार-बार नोटिस देने के बावजूद अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. बाद में पता चला कि ट्रेन रास्ते में ही गायब हो गई थी.

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लेट होने का बना दिया रिकॉर्ड
उत्तर पूर्व रेलवे जोन के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव ने कहा, “कभी-कभी, जब कोई वैगन या बोगी बीमार (फेरी के लिए अयोग्य) हो जाता है, तो उसे यार्ड में भेज दिया जाता है. ऐसा लगता है कि इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है.” एक जांच के बाद उर्वरक ले जाने वाली ट्रेन अंततः जुलाई 2018 में उत्तर प्रदेश के बस्ती रेलवे स्टेशन पहुंची.

हालांकि, इस अवधि के दौरान ट्रेन कहां, कैसे और क्यों लेट हुई या गायब हो गई, इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं थी. इस अभूतपूर्व देरी के परिणामस्वरूप 14 लाख रुपये का उर्वरक बेकार हो गया. इस घटना को भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे अधिक लेट ट्रेन यात्रा के रूप में दर्ज किया गया है.

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