15 साल इंतजार के बाद 8 हजार प्‍लॉट मालिकों के आने वाला हैं अच्‍छे दिन

हाइलाइट्स

डेवलपर को परियोजना के लिए एक निश्चित अवधि में 4,312 एकड़ भूमि विकसित करनी थी.किसानों के विरोध के कारण डेवलपर भूमि अधिग्रहण नहीं कर सका.फिर परियोजना का आकार घटाकर 4,196 एकड़ कर दिया गया.

नई दिल्‍ली. गाजियाबाद में नेशनल हाइवे नंबर 9 के साथ बनाई गई वेव सिटी में प्‍लाट खरीदने वाले करीब 8 हजार लोगों को जल्‍द ही खुशखबरी मिल सकती है. 5 अगस्‍त को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की होने वाली बैठक में वेव सिटी की डिटेल्‍ड प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट को हरी झंडी दिखाई जा सकती है. 4000 एकड़ भूमि पर विकसित की जाने वाली इस परियोजना की डीपीआर को जीडीए कई बार ठुकरा चुका है. सीएजी ऑडिट में डेवलपर उत्‍पल चड्ढा हाई टेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड से भूमि रूपांतरण शुल्क के रूप में करीब 401 करोड़ रुपये की वसूली न होने की बात सामने आने के बाद 2017 से यह परियोजना रुकी हुई है.

एक बार मंजूरी मिलने के बाद, रियल एस्टेट एजेंट उत्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को जमीन विकसित करने और आवंटियों को सौंपने के लिए छह महीने का समय मिल जाएगा. इससे इस परियोजना में प्‍लाट खरीद चुके तीन हजार लोगों को प्‍लाट का कब्‍जा मिलने और 5,000 आवंटियों को अपनी संपत्ति पंजीकृत कराने का रास्ता साफ हो जाएगा, जिन्हें अपने प्लॉट पर कब्जा मिल चुका है.

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2009 में शुरू हुई थी परियोजना
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, वेव ग्रुप ने 2009-10 में राज्य की हाई-टेक टाउनशिप नीति के तहत तकनीक-एकीकृत घरों और विशाल हरित क्षेत्र के साथ टाउनशिप परियोजना शुरू की थी. डेवलपर को परियोजना के लिए एक निश्चित अवधि में 4,312 एकड़ भूमि विकसित करनी थी, लेकिन किसानों के विरोध के कारण डेवलपर भूमि अधिग्रहण नहीं कर सका.

वेव ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा, “हमें जिस जमीन का अधिग्रहण करना था, उसका एक हिस्सा ‘लाल डोरा’ में आता था. इसलिए, हम परियोजना के लिए निर्धारित पूरी ज़मीन हासिल नहीं कर पाए. इसके बाद, परियोजना का आकार घटाकर 4,196 एकड़ कर दिया गया और जीडीए को मंजूरी के लिए संशोधित डीपीआर प्रस्तुत किया गया.” इस डीपीआर को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.

डेवलपर का दावा, 50 फीसदी भूमि का किया विकास
डेवलपर का दावा है कि 4196 एकड़ में से 50 फीसदी भूमि का विकास हो चुका है और करीब 5,000 परिवारों को प्लॉट सौंपे जा चुके हैं. शेष हिस्सा जिसे अभी विकसित किया जाना है, उसके लिए कई डीपीआर जमा किए हैं, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. सीएजी द्वारा उठाई गई कुछ आपत्तियों के बाद यह परियोजना अटकी हुई है. इससे करीब 3,000 आवंटियों पर असर पड़ा है, जिन्होंने इस परियोजना में निवेश किया था, क्‍योंकि उन्‍हें अभी प्‍लॉट का कब्‍जा ही नहीं दिया गया है.

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